Muzaffarpur News: गमछे का रंग बिहार की राजनीति का मुद्दा बना हुआ है. चर्चा नीतीश कुमार और जे पी नड्डा की मुलाकात पर भी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा शुक्रवार को पटना पहुंचे. पहले सीएम नीतीश कुमार से मिले और फिर मुख्यमंत्री साहब के साथ जाकर पटना के IGMS जाकर SUPER SPECIALITY नेत्र विभाग का उद्घाटन किया. दावा किया गया है कि ये फैसेलिटी 188 करोड़ रुपए की लागत से बनी है और इसमें एम्स जैसी सुविधाएं मौजूद हैं. लोगों की आंखों का इलाज बेहतर हो जाएगा. लेकिन सवाल ये है कि आखिर सुसाशन बाबू की सरकार और सिस्टम की आंखें कब खुलेंगी?


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लोग अब भूतिया हॉस्पिटल कहने लगे हैं


ये सवाल उठा है बिहार के मुजफ्फरपुर में बने एक ऐसे अस्पताल की वजह से जिसे लोग अब भूतिया हॉस्पिटल कहने लगे हैं. अस्पताल की बिल्डिंग तो है लेकिन अंदर ना तो मरीज हैं और ना ही डॉक्टर. टूटे हुए टाइल्स और उनपर जमी धूल. ये अस्पताल का रजिस्ट्रेशन काउंटर होता था. जहां ओपीडी बनाई गई थी. वहां दरवाजे और चौखट गायब हो चुके हैं. दूसरी मंजिल पर जाने वाली सीढ़ी टूट चुकी है और स्टाफ के क्वार्टर्स में चारों तरफ सन्नाटा है. और सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये कि अस्पताल खेतों के बीचों बीच बनाया गया है.


2009 में इस अस्पताल का प्लान तैयार किया गया


इस भूतिया अस्पताल की पूरी कहानी जानने के लिए आपको फ्लैशबैक में जाना होगा. साल 2009 में इस अस्पताल का प्लान तैयार किया गया. साल 2014 में अस्पताल बनकर पूरी तरह तैयार हो गया. अस्पताल बनाने के लिए सरकार की तिजोरी से 5 करोड़ रुपए खर्च किए गए और अस्पताल में 30 बेड की सुविधा की गई. प्लान फुलप्रूफ था.. लेकिन गड़बड़ ये हो गई कि अस्पताल का कभी उद्घाटन ही नहीं किया गया. क्योंकि राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को अपने अंतर्गत लिया ही नहीं.


जनता के टैक्स के पांच करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए


जनता के टैक्स के पांच करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए. लेकिन अस्पताल में कभी डॉक्टर और नर्स पहुंचे ही नहीं. नतीजा हुआ कि असामाजिक तत्व अस्पताल की बिल्डिंग से टाइल्स, ग्रिल, दरवाजे, चौखट, खिड़कियां, उपकरण सब चुराकर ले गए.. वो तो दीवारें मजबूत कंक्रीट से बनी थीं. वर्ना चोर इन्हें भी उठाकर ले जाते. जी न्यूज ने इस बड़ी लापरवाही का मुद्दा अधिकारियों तक पहुंचाया.


मामला गंभीर है.. ये तो मीडिया और जनता को भी पता है. तभी तो सवाल उठाया गया लेकिन मासूमियत से जवाब देतीं एसडीएम साहिबा को अब तक इस मामले की पूरी जानकारी ही नहीं है. अधिकारियों को कुछ पता हो या ना हो लेकिन भूतिया अस्पताल की तस्वीरें जरूर बताती हैं कि जब सुशासन कागजों और जुमलों से बाहर नहीं निकल पाता तो हालत ऐसी ही होती है.