यूपी चुनाव से पहले संजय निषाद के बिगड़े बोल, कहा- राजा दशरथ के पुत्र नहीं थे श्रीराम
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने भगवान राम (Lord Ram) पर एक विवादित बयान दिया है और कहा है कि वो राजा दशरथ के पुत्र भी नहीं थे.
लखनऊ: यूपी में बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने भगवान राम (Lord Ram) पर एक विवादित बयान दिया है. उनका कहना है कि राम का जन्म एक निषाद परिवार में हुआ था. अब इसी बयान को लपक कर असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) से जवाब मांगा है.
चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते संजय निषाद
सिर पर लाल टोपी, गले में फूलों का हार और मुंह में जय निषाद के जयघोष. चित्रकूट की धरती पर निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद का कार्यकर्ताओं ने जोर-शोर से स्वागत किया. 2022 में यूपी सरकार में भागीदारी का पूरा भरोसा है. शायद यही वजह है कि संजय निषाद चुनावी अभियान में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते. लेकिन इस दौरान उन्होंने संगम नगरी प्रयागराज की धरती कुछ ऐसा बयान दिया, जिसे लेकर बहस हो रही है.
संजय निषाद के किस बयान पर है विवाद?
संजय निषाद का कहना है कि भगवान श्रीराम का जन्म निषाद परिवार में हुआ था और वो राजा दशरथ के पुत्र भी नहीं थे, बल्कि पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराने वाले श्रृंगी ऋषि के बेटे थे. संजय निषाद ने भगवान श्रीराम को ना सिर्फ श्रृंगी ऋषि का पुत्र बताया. ये भी कह दिया कि उनके समुदाय के लोग तब तक बीजेपी को वोट नहीं देंगे जब तक कि निषाद समाज के लिए आरक्षण की मांग पूरी नहीं हो जाती. संजय निषाद ने बीजेपी सरकार से अपना वादा पूरा करने को कहा.
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संजय निषाद के बयान पर ओवैसी का तंज
संजय निषाद की पार्टी ने हाल ही में बीजेपी के साथ गठबंधन किया है और कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा, अभी इसपर फैसला होना बाकी है. लेकिन संजय निषाद (Sanjay Nishad) के इस बयान पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसा है और जवाब संघ प्रमुख मोहन भागवत से मांग लिया. ओवैसी ने कहा कि मोहन भागवत डीएनए विशेषज्ञ हैं, उन्हें जवाब देना चाहिए.
बीजेपी के लिए मुश्किल बढ़ा रही छोटी पार्टियां
अगले साल यूपी में होने वाले विधान सभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के चुनाव को लेकर यूपी की तमाम पार्टियां मैदान में हैं. बीजेपी के लिए ये चुनाव बेहद अहम है. यही वजह है कि बीजेपी ने यूपी की छोटी पार्टियों से हाथ मिलाया है. बीजेपी ये तय कर लेना चाहती है कि चुनाव के बाद सत्ता उसी के पास बनी रहे, लेकिन अब यही दल बीजेपी के लिए असहज करने वाले बयान दे रहे हैं. राजनीति में इसे ही प्रेशर पॉलिटिक्स करते हैं.
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