`श्रीरामचरितमानस पर बयान को लेकर माफी मांगें मौर्य, नहीं तो काशी में घुसने नहीं देंगे`
Swami Prasad Maurya controversial remarks: बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य को श्रीरामचरितमानस को लेकर दिए गए विवादित बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ आगे भी विरोध करेंगे और उन्हें वाराणसी आने नहीं देंगे.
श्रीरामचरित मानस पर विवादित बयान को लेकर चर्चा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है. बीजेपी लगातार उनसे उनके बयान के लिए माफी मांगने को कह रही है. हालांकि, समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य भी अपनी बात पर अड़े हैं. इस विवाद के बीच उन्हें बीजेपी कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए और कहा कि अगर वो माफी नहीं मांगते हैं तो उन्हें अब काशी में एंट्री नहीं मिलेगी.
वाराणसी के टेंगरा मोड़ पर रविवार को बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के काफिले को काला झंडा दिखाया और विरोध जताया. वो वाराणसी से सोनभद्र के लिए निकले थे, तभी रास्ते में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता उनके काफिले के सामने आ गए और 'जय श्री राम' व 'हर हर महादेव' का नारा लगाने लगे. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्य के कार पर भी कपड़ा फेंका.
हालांकि, मौके पर पुलिस ने कार्यकर्ताओं को रोका और मौर्य के काफिले को वहां से तुरंत रवाना किया गया. हालांकि, विरोध करने वाले किसी भी कार्यकर्ता की गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस ने कहा कि किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.
बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य को श्रीरामचरितमानस को लेकर दिए गए विवादित बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ आगे भी विरोध करेंगे और उन्हें वाराणसी आने नहीं देंगे.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सपा नेता मौर्य ने कहा था, ‘धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है. अगर श्रीरामचरितमानस की कुछ लाइनों की वजह से समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं, अधर्म है. रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है. इससे लाखों लोगों की भावनाएं आहत होती हैं.'
उन्होंने कहा था, ‘रामचरितमानस में लिखीं आपत्तिजनक लाइनों को बैन कर देना चाहिए, जिससे जाति, वर्ग और वर्ण के आधार पर समाज के एक हिस्से का अपमान होता है.'
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