नई दिल्ली: कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान को आगे बढ़ाने की पहल के साथ भाजपा अब वामदलों के गढ़ त्रिपुरा, केरल जैसे राज्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही है. इस सिलसिले में भाजपा पूर्वोत्तर खासतौर पर त्रिपुरा पर विशेष जोर दे रही है जहां साल 2018 के प्रारंभ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के त्रिपुरा के दौरे और प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस विधायकों का भाजपा में शामिल होना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, इसके साथ ही भाजपा केरल में भाजपा-आरएसएस कार्यकर्ताओं पर वामदल कार्यकर्ताओं के कथित हमले और राज्य में कानून एवं व्यवस्था के मुद्दे को भी जनता के बीच जोरशोर से उठा रही है. त्रिपुरा में 1993 से ही वाममोर्चा की सरकार है और पिछले 24 वर्षों से राज्य में कांग्रेस विपक्ष में है. पिछले चुनाव में हालांकि कांग्रेस का आधार कमजोर हुआ है और पार्टी इसका लाभ उठाने का प्रयास कर रही है.


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मणिपुर के प्रभारी रहे भाजपा सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि पूर्वोत्तर में कमल खिल रहा है. असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिुपर में भाजपा का कमल खिल चुका है और त्रिपुरा, नगालैंड जैसे राज्यों में भी कमल खिलने जा रहा है. उन्होंने कहा कि भाजपा पूर्वोत्तर में जबर्दस्त जीत दर्ज करेगी. कांग्रेस एवं वामदलों के शासन में इन प्रदेशों में लोगों की आशा आकांक्षाएं पूरी नहीं हुई. उन्होंने कहा कि विकास का अंश मात्र इन प्रदेशों में नहीं दिख रहा है और नई पीढ़ी भ्रमित है. उसे कोई राह नहीं दिख रही है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास के मंत्र के सहारे ही पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास हो सकता है. और यह क्षेत्र देश के विकास का इंजन बन सकता है.


पूर्वोत्तर में अपने पांव जमाने के लिए भी भाजपा पूरी ताकत लगा रही है. इस श्रृंखला में पार्टी को असम में जबर्दस्त जीत मिली और मणिपुर में भी भाजपा सरकार बनाने में सफल रही है. भाजपा की नजरें अब त्रिपुरा पर हैं जहां अगले साल के प्रारंभ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. केरल में वाममोर्चा सरकार को सत्ता में आए एक वर्ष से अधिक का समय हुआ है और विधानसभा चुनाव अभी दूर है. लेकिन भाजपा 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य में अपना दखल बढ़ाना चाहता है.


भाजपा कोरोमंडल में अपने प्रभाव को बढ़ाने और वैसी 120 लोकसभा सीटों पर ध्यान दे रही है जहां उसे 2014 के लोकसभा चुनाव में सफलता नहीं मिली. केरल इस दिशा में भाजपा के लिये महत्वपूर्ण है. भाजपा केरल में भाजपा..आरएसएस कार्यकर्ताओं पर वामदल कार्यकर्ताओं के कथित हमले और राज्य में कानून एवं व्यवस्था के मुद्दे को भी जनता के बीच जोरशोर से उठा रही है. केरल में संघ कार्यकर्ता पर हमले के मामले में वित्त मंत्री अरूण जेटली हाल ही में केरल गए थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इस मुद्दे को जोर शोर से उठा रहा है.


संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि राज्य में संवैधानिक ढांचा ध्वस्त हो चुका है और राष्ट्रवादी संगठनों को काम नहीं करने दिया जा रहा है. हमारा प्रयास होगा कि ऐसा जनमानस बने कि लोग वाममोर्चा सरकार को प्रदेश से स्वयं ही हटा दें. त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा में वामदलों के 49 सदस्य हैं, जबकि कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के 10 सदस्य हैं. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 50 सीटों पर चुनाव लड़ा था हालांकि वह अनेक सीटों पर जमानत भी नहीं बचा सकी थी. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में माकपा को 48.11 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे जबकि कांग्रेस को 36.53 प्रतिशत वोट मिले. भाजपा का मत प्रतिशत 1.54 रहा था. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत बढ़कर 5.77 प्रतिशत हो गया जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत घटकर 15.38 प्रतिशत आ गया था. 


अब भाजपा की नजरें आसन्न विधानसभा चुनाव में त्रिपुरा में अच्छा प्रदर्शन करने के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वोत्तर में 20-25 सीटें जीतने पर हैं. अगले वर्ष त्रिपुरा में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी भाजपा ने शुरू कर दी है. इसी कड़ी में अमित शाह वहां रैली कर चुके है. त्रिपुरा की कुल 38 लाख आबादी में 21 लाख मतदाता है. चार विधान सभा क्षेत्रो में कुल 2 लाख मतदाता मणिपुरी है. मणिपुर में भाजपा सत्ता हासिल कर चुकी है और भाजपा को इन पर काफी भरोसा है.


राजनीतिक विश्नलेषकों का कहना है कि 13 विधान सभा क्षेत्रो में असमिया और जन जाति मतदाता की बहुलता है. असम में जो भरोसा असमिया से मिला, भाजपा वही भरोसा त्रिपुरा में रहने वाले असमिया मतदाता और जनजाति मतदाता पर कर रही है. साथ ही त्रिपुरा में 68 प्रतिशत लोग बंगला भाषी है और 32 प्रतिशत जनजाति है. बंगला भाषी लोगो में 40 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं जो नाथ सम्प्रदाय से आते है. नाथ सम्प्रदाय के मतदाता उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावित बताये जाते हैं. इस दिशा में तृणमूल कांग्रेस के कुछ विधायकों के भाजपा में शामिल होने को महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है.