महाराष्ट्र में मिली सीख बिहार में अपनाएगी BJP,संजय झा के घर डिनर करने यूं ही नहीं पहुंचे अमित शाह
NDA Bihar Dinner Diplomacy: बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के भीतर समन्वय को और ज्यादा बेहतर करने के साथ ही महाराष्ट्र चुनाव में मिले सबक को कैसे अमल में लाया जा सकता है. इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार एनडीए के शीर्ष नेताओं को मंगलवार को संजय झा के आवास पर डिनर के दौरान कई टिप्स दिए हैं.
Bihar Assembly Elections 2025: देश में लोकसभा चुनाव के साथ ही इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और उपचुनाव खत्म होने के बाद अब राजनीतिक दलों की निगाहें अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर जाकर टिक गई हैं. ऐसे में केंद्र में लगातार तीसरी बार सत्तासीन भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए अभी से इसकी तैयारियों में जुट गया है. बताया जा रहा है कि भाजपा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और झारखंड में सत्ता से दूर रहने के साथ ही हरियाणा और महाराष्ट्र में सत्ता में वापसी से मिले सबकों को बिहार में अमल में लाएगी.
संजय झा के आवास पर जुटे बिहार एनडीए के सभी दिग्गज राजनेता
इसलिए, बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य संजय झा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर मंगलवार को बिहार एनडीए के नेता डिनर के लिए जुटे. डिनर डिप्लोमेसी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के शामिल होने से इसके गहरे राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. दिल्ली में डिनर मीटिंग के दौरान एनडीए बिहार में शामिल जदयू,भाजपा, लोजपा(रामविलास) के सभी सांसद, हम प्रमुख केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी और राज्यसभा सांसद रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी मौजूद रहे. वहीं, डिनर पर बिहार के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा भी उपस्थित थे.
अमित शाह के कहने पर ही जदयू सांसद के आवास पर डिनर बैठक
माना जाता है कि दिल्ली में जदयू सांसद के आवास पर डिनर बैठक को अमित शाह के कहने पर ही बुलाया गया है. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली में एनडीए की इस डिनर पार्टी को काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है. दिल्ली में बिहार के एनडीए के शीर्ष नेताओं की एक ही डाइनिंग टेबल पर मौजूदगी में सभी दलों के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. इसमें बिहार की मौजूदा राजनीतिक हालत पर विचार विमर्श के बाद विपक्षी महागठबंधन या इंडिया गठबंधन को साधने के लिए अमित शाह ने सहयोगी नेताओं को जरूरी टिप्स भी दिए. जानकारी के मुताबिक, डिनर बैठक में बिहार एनडीए के नेताओं के बीच बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चरणबद्ध रणनीति का खाका तय कर लिया गया है.
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए साल भर जनसंपर्क करेंगे एनडीए नेता
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से तैयारी में जुट गई एनडीए की बैठक में अगले करीब एक साल तक बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों में जनसम्पर्क अभियान चलाकर लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से अवगत कराने की विशेष रणनीति बनाई गई है. इस लिए एनडीए की सभी सहयोगी पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता अपने क्षेत्रों के हिसाब से जमीन पर उतर कर अभियान को गति देंगे. इसके अलावा, एनडीए के कोर वोट बैंक समूह खासकर महिला, किसान, गरीब और युवाओं से संपर्क पर फोकस किया जाएगा.
महाराष्ट्र में मिले किस सबक को बिहार में अमल करना चाहता है एनडीए?
इस बीच, एनडीए ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर हुई गैर-जरूरी देरी और शानदार जीत वाले नतीजे के बावजूद मुख्यमंत्री के चेहरे पर मची अटकलों जैसी बातों को बिहार में दोहराने से बचना चाहती है. यानी महाराष्ट्र चुनाव में मिले बुनियादी सबक को बिहार के लिए रणनिति बनाते वक्त अमल करना चाहती है. महाराष्ट्र में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के नारे 'बंटेंगे तो कटेंगे' को लेकर अंदरूनी मतभेदों से जैसे हालात से भी एनडीए बिहार में परहेज कर सकती है. प्रचार के मुद्दे को लेकर भी पहले स्पष्ट रहने की रणनीति पर आगे बढ़ा जा सकता है.
महाराष्ट्र चुनाव में एनडीए ने बेहतर समन्वय से हासिल की शानदार जीत
बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए में भाजपा, जदयू, रालोमो, हम (से) और लोजपा (आर) शामिल हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में पांचों दलों ने मिलकर बिहार की कुल 40 में से 30 सीटों पर जीत हासिल की थी. महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के 6 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव में एनडीए ने तीनों दलों के कॉर्डिनेशन के दम पर बड़ी जीत हासिल की. महायुति में शानदार समन्वय की वजह से ही इस बार अजित पवार के वोट भी भाजपा में शिफ्ट हुए और एनसीपी को भी भाजपा कार्यकर्ताओं का पुरजोर समर्थन मिला था.
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बिहार में एनडीए और इंडिया गठबंधन के मुकाबले के बीच प्रशांत किशोर
दूसरी ओर, बिहार में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी जी-जान से जुटी है. 243 विधानसभा सीटों वाली बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है. 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 126 सीटों पर जीत मिली थी. एनडीए बिहार में 2020 से भी बड़ी जीत हासिल करने के लक्ष्य के साथ विधानसभा चुनाव में उतरना चाहती है और विपक्ष की ओर से एनडीए की मजबूती कम करने वाले पैंतरों से पहले ही निपट लेना चाहती है.
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