दिल्ली के रोहिणी में CRPF स्कूल के पास बम धमाके से रविवार को सनसनी फैल गई. इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन IED विस्फोट से स्कूल की दीवार ढह गई और आस-पास की दुकानों और कारों को कुछ नुकसान पहुंचा. एक दिन पहले, शनिवार को विभिन्न एयरलाइनों द्वारा संचालित उड़ानों के खिलाफ 30 से अधिक बम धमकियां दी गईं. पिछले सोमवार को शुरू हुई फर्जी कॉल और धमकियों की हालिया लहर पूरे हफ्ते जारी रही, जिससे कई उड़ानों को डायवर्ट करना पड़ा और देरी हुई. रेलवे ट्रैक पर सिलेंडर, पत्थर व अन्य सामग्रियां मिलने का सिलसिला भी जारी है. ये तमाम घटनाएं इशारा करती हैं कि कुछ तो गड़बड़ है. जियोपॉलिटिक्स के प्रोफेसर माधव दास नलपत को लगता है कि ऐसी घटनाएं भारत के खिलाफ बड़ी साजिश का हिस्सा हैं.


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भारत के खिलाफ साजिश? चीन वाला एंगल क्या है?


इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाती ऐसी घटनाएं हाल के दिनों में बढ़ी हैं. प्रोफेसर नलपत जो कि मणिपुर रिसर्च ग्रुप के वाइस चेयरमैन भी हैं, के मुताबिक यह देश में असुरक्षा का माहौल बनाने की साजिश है. उन्होंने चीन का नाम लेकर कहा क‍ि ड्रैगन से कन्नी काटने वाली कंपनियां भारत को ठिकाना बनाना चाहती हैं लेकिन ऐसी घटनाओं से विदेशी निवेशकों के मन में डर पैदा किया जा रहा है.


प्रो. नलपत ने एक चैनल से बातचीत में कहा, 'हकीकत यह है कि चीन से अलग होकर भारत में बसने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ती जा रही है. भारत के विरोधियों को यह बदलाव पसंद नहीं आ रहा है, जो देश की सुरक्षा को लेकर विदेशी निवेशकों में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. वे असुरक्षा का माहौल बनाने के लिए एयरलाइंस, रेलवे लाइन, स्कूल और बहुत कुछ को निशाना बना रहे हैं. यह साफ तौर पर एक इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में भारत की अपील को कम करने की कोऑर्डिनेटेड कोशिश है.'


साजिश या कुछ और? इन घटनाओं के पीछे कौन?


दिल्ली के प्रशांत विहार इलाके में रविवार (20 अक्टूबर) सुबह सीआरपीएफ स्कूल के पास भीषण बम धमाका हुआ. आस-पास की दुकानों को नुकसान पहुंचा है. मौके पर स्पेशल सेल, एनआईए, सीआरपीएफ, एफएसएल और एनएसजी की टीमें पहुंची और जांच शुरू की. यह घटना ऐसे समय में हुई है जब पिछले सप्ताह भारत भर में दर्जनों उड़ानों में बम की धमकियां मिली थीं, लेकिन ये सभी अफवाहें झूठी साबित हुईं.


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भारतीय एयरलाइंस द्वारा संचालित उड़ानों को महज छह दिनों के भीतर बम की 70 से अधिक धमकियां मिली हैं. अकेले शनिवार को 30 से अधिक बम धमकियां दी गईं. जांच से पता चला है कि इन धमकियों से जुड़े कुछ आईपी एड्रेस लंदन, जर्मनी, कनाडा और अमेरिका से आए हैं. हालांकि, अधिकारियों ने इस संभावना से भी इनकार नहीं किया कि धमकी देने वालों ने असल लोकेशन छिपाने के लिए वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) का इस्तेमाल किया हो.


रेलवे ट्रैक पर विस्फोटक सामग्री मिलने की घटनाएं भी जारी हैं. उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में रूड़की-लक्सर रेलवे मार्ग पर 13 अक्टूबर एक गैस सिलेंडर मिलने से हड़कंप मच गया. सिलेंडर खाली था. रूड़की कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर पुलिस व रेलवे ने जांच शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में 10 अक्टूबर की सुबह रेल की पटरी पर अज्ञात लोगों ने छोटे पत्थर रख दिये, लेकिन ट्रेन उन पर से सकुशल गुजर गई.


9 अक्टूबर को, रायबरेली में मालगाड़ी के रास्ते में पटरी पर सीमेंट से बना स्लीपर पाया गया. इससे पहले, छह अक्टूबर को रायबरेली के रघुराज सिंह स्टेशन के पास रेल की पटरियों पर मिट्टी का ढेर देखा गया था, जिसकी वजह से एक शटल ट्रेन को कुछ समय के लिए रोक दिया गया था.


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मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 9 अक्टूबर को कुछ अज्ञात लोगों द्वारा लोहे की एक रॉड को रेलवे ट्रैक पर रख कर ट्रेन को डिरेल की कोशिश की गई. लेकिन, ट्रैक पर आ रही मालगाड़ी के ड्राइवर की सतर्कता से हादसा टल गया.


यूपी पुलिस ने 5 अक्टूबर को ललितपुर जिले के जखौरा थाना क्षेत्र में रेलवे लाइन पर लोहे का सरिया रखकर ट्रेन को पटरी से उतारने की कोशिश करने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था.


17 अगस्त को अहमदाबाद जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन का इंजन कानपुर के गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन के पास पटरी पर रखी किसी चीज से टकरा गया था. उसके बाद ट्रेन के 20 डिब्बे पटरी से उतर गए थे, हालांकि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था. आठ सितंबर को कानपुर के शिवराजपुर इलाके में प्रयागराज से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस का इंजन पटरी पर रखे रसोई गैस सिलेंडर से टकरा गया था.