Why Share Market Crash:शुक्रवार को हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन सेंसेक्स और निफ्टी दोनों दी खुलने के साथ धड़ाम हो गए. बड़े निवेशकों के साथ-साथ छोटे-छोटे रिटेल निवेशक इस बात से परेशान है कि आखिर बाजार कब वापसी करेगा.
Why Share Market Crash: भारतीय शेयर बाजार में जारी बिकवाली कम होने के नाम नहीं ले रही है. लगाचार चौथे दिन भी शेयर बाजार गिरता चला गया. शुक्रवार को हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन सेंसेक्स और निफ्टी दोनों दी खुलने के साथ धड़ाम हो गया. बड़े निवेशकों के साथ-साथ छोटे-छोटे रिटेल निवेशक इस बात से परेशान है कि आखिर बाजार कब वापसी करेगा. शेयर बाजार में जारी ये गिरावट कब तक बनी रहेगी और इस गिरावट के पीछे कौन हैं ?
शेयर बाजार (Share Market) में आप भी पैसा लगाते हैं तो बीते कुछ दिन आप पर भारी रहे होंगे. बाजार लगातार गिरता जा रहा है. बीते कुछ दिनों से सेंसेक्स और निफ्टी दोनों लगातार गिरे हुए हैं. बाजार में को लेकर कई लोग कई तरह के कयास लगा रहे हैं. कोई इस गिरावट के पीछे इजरायल-ईरान युद्ध को वजह मान रहा है तो कोई कच्चे तेल की कीमतों में तेजी को वजह बता रहे हैं. इन सब के बीच ऑस्ट्रेलिया की ब्रोकरेज फर्म ने भारतीय शेयर बाजार में जारी गिरावट की बड़ी वजह बता दी है. इस फर्म के मुताबिक भारतीय बाजारों में गिरावट के पीछे बहुत बड़ा हाथ पड़ोसी देश चीन का है.
बीते हफ्ते ऐसी खबर आई, जिसके बाद से भारतीय शेयर बाजार लगातार गिरता जा रहा है. खबर आई कि चीन ने बड़ा खेला कर दिया है. जिसका सीधा असर भारतीय बाजार और निवेशकों पर दिखा. ड्रैगन यहीं नहीं रुका, चीन ने वहीं काम फिर से दोहराने की तैयारी कर ली. इस बीच ऑस्ट्रेलियाई ब्रोकरेज ने भारतीय बाजार में गिरावट के पीछे चीन का हाथ होने की ओर इशारा कर दिया. चीन ने निवेशकों को लुभाने के लिए बड़ा राहत पैकेज का ऐलान कर दिया. इस राहत पैकेज से चीन के बाजारों में आए उछाल को देख निवेशक लाभ कमाने के लिए उधर का रुख करने लगे. विदेशी निवेशकों ( FIIs) की ओर से लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाला जा रहा है, जिसकी वजह से शेयर बाजार गिरता जा रहा है. हालांकि ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक दीर्घकालीन लाभ के लिए भारत सबसे पसंदीदा बाजार है.
चीन की सरकार एक और राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है. निवेशकों को इस राहत पैकेज का इंतजार है. ब्लूमबर्ग की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक चीन के बाजार में निवेश करने वाले इनवेस्टर्स और एनालिस्ट्स को चीन की सरकार से 283 अरब डॉलर के राहत पैकेज की उम्मीद है. इसी उम्मीद में निवेशक टकटकी लगाए बैठे हैं और भारतीय बाजार से पैसा निकालकर चीन में निवेश की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और फेडरल रिजर्व की बैठक के चलते इस राहत पैकेज में थोड़ी देर हो सकती है. इस सब आशंकाओं को लेकर निवेशक दुविधा में हैं. निवेशकों के लिए भारत और चीन के बीच चुनाव करना ‘कठिन’ होता जा रहा है. उन्होंने दोनों बाजारों के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का विश्लेषण किया.
इससे पहले सितंबर में चीन ने 12 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया था. इस पैकेज के बाद चीन के शंघाई स्टॉक एक्सचेंज का मार्केट कैप करीब 269 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया था. जहां इसका फायदा चीन को मिला, वहीं भारत तो इसका नुकसान हुआ. शेयर बाजार में गिरावट के चलते निवेशके के लाखों करोड़ डूब गए. अब तीन दोगुना पैकेज देने की बात कर रहे हैं, ऐसे में भारतीय बाजार के लिए खतरा भी डबल हो सकता है. चीन राहत पैकेजों का ऐलान कर भले ही भारतीय बाजार को अस्थाई तौर पर नुकसान पहुंचा रहा हो. लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक लॉगटर्म में भारत का ही दबदबा है. ऑस्ट्रेलियाई ब्रोकरेज फर्म मैक्वेरी ने कहा चीन के राहत पैकेज जारी करने के बाद वहां की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार दोनों में ही तगड़ा मुनाफा हुआ. बता दें कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए और रियल एस्टेट को वापस पटरी पर लाने के लिए राहत पैकजों का ऐलान कर रहा है.
भारतीय बाजारों से जैसे ही विदेशी निवेशक पैसा निकलना शुरू करते हैं बाजार गिरने लगता है. FPI ने अक्टूबर की शुरुआत से अब तक करीब 20 हजार करोड़ रुपये निकाल लिए है. FII की बिकवाली बढ़ने से शेयर बाजार गिरने लगता है.
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