साल 2003 में शादी हुई और शादी के 8 साल बाद तलाक की अर्जी लेकर पति कोर्ट के दरवाजे तक जा पहुंचा. अब इस केस में बंबई हाई कोर्ट ने 44 साल के उस व्यक्ति की तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया है. दरअसल, पुणे के 44 साल के इस व्यक्ति ने कोर्ट में पत्नी के एचआईवी संक्रमित होने का झूठा दावा कर तलाक मांगा था, जिसे अब कोर्ट ने इनकार कर दिया है. व्यक्ति ने कोर्ट में कहा था कि वो अपनी पत्नी के एचआईवी संक्रमित होने की वजह से मानसिक पीड़ा झेल रहा है.


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साल 2011 में इस व्यक्ति ने एक अपील दायर की थी, जिसमें पुणे की एक फैमली कोर्ट द्वारा तलाक की उसकी अपील को खारिज किए जाने के बाद उसे चुनौती दी गई थी. जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस शर्मिला देशमुख की खंडपीठ ने अपने फैसले में 2011 में की गई अपील को खारिज कर दिया है.


इसलिए खारिज हुई अपील...


कोर्ट ने कहा कि अपील करने वाले व्यक्ति ने इस बात का कोई सबूत पेश नहीं किया है कि उसकी पत्नी HIV संक्रमित है, जिससे उस व्यक्ति को मानसिक तौर पर प्रताड़ना झेलना पड़ा. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि टूटे हुए इस रिश्ते के फिर से पटरी पर आने का कोई चांस नहीं दिखता इसलिए तलाक का अनुरोध अब खारिज किया जाता है.


केस डिटेल्स के मुताबिक मार्च 2003 में दोनों की शादी हुई थी, जिसके बाद पति ने दावा किया था कि उसकी पत्नी बहुत गुस्सा करती है, वो सनकी और जिद्दी स्वभाव वाली है. वो ससुराल के लोगों यानी लड़के के घरवालों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं करती थी.


पति ने कहा- 2005 में पता चला कि पत्नी को HIV है 


व्यक्ति ने दावा किया था कि उसकी पत्नी को टीबी की भी बीमारी है और बाद में वह हर्पीज से भी पीड़ित हो गई थी. शख्स ने अपनी याचिका में बताया था कि साल 2005 में टेस्ट कराने पर पता चला कि उसकी पत्नी को एचआईवी है. जिसके बाद उसने तलाक की अपील दायर की थी.


इस पूरे मामले पर शख्स की पत्नी ने अपने पति के दावों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें कभी एचआईवी नहीं हुआ, इसके बावजूद पति ने उनपर आरोप लगाए और उनके परिवार के लोगों के बीच अफवाह फैलाई. इस वजह से महिला को मानसिक रूप से भी काफी पीड़ा हुई.


पति पेश नहीं कर सका सबूत


हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पति अपनी पत्नी के एचआईवी से संक्रमित होने की रिपोर्ट नहीं पेश कर सका. कोर्ट ने कहा, 'याचिकाकर्ता पति द्वारा दायर की गई अपील को सही ठहराने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किए गए, जिससे ये साबित हो सके कि पत्नी एचआईवी से संक्रमित थी और इससे उस व्यक्ति को मानसिक पीड़ा हुई या पत्नी ने उसके साथ क्रूर तरीके से बरताव किया.'


अदालत ने आगे कहा, 'इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता पति ने अपनी पत्नी के साथ रहने से इनकार कर दिया है और उसके रिश्तेदारों वे दोस्तों को इसके बारे में जानकारी देकर बदनाम किया है वो एचआईवी संक्रमित थी. इसलिए, रिश्तों में सुधार के आसार न के बराबर हैं और इस आधार पर तलाक की अर्जी को खारिज किया जाता है.'