Border Dispute: भारत-चीन आज फिर करेंगे बात, कई दूसरे इलाकों से Army की वापसी पर बन सकती है सहमति
नौ महीने के गतिरोध के बाद भारत और चीन के बीच सैनिकों की वापसी को लेकर सहमति बनी है. जिसके तहत दोनों पक्ष चरणबद्ध तरीके से पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों से सैनिकों को पीछे हटा रहे हैं. अब पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों से सैनिकों को हटाने के मुद्दे पर चर्चा होगी.
नई दिल्ली: सीमा विवाद (Border Dispute) को पूरी तरह सुलझाने के लिए भारत और चीन (India-China) के बीच आज (शनिवार) दसवें दौर की वरिष्ठ कमांडर स्तरीय बैठक होने जा रही है. इस बैठक में पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग क्षेत्रों से सैनिकों को हटाने के मुद्दे पर चर्चा होगी. बैठक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की तरफ मोल्दो सीमा बिंदु पर सुबह 10 बजे शुरू होगी. पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों की वापसी के बाद होने वाली इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है.
Lt Gen Menon करेंगे नेतृत्व
बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन (Lt Gen PG K Menon) करेंगे, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं. वहीं, चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लिउ लिन करेंगे. लिन चीनी सेना (Chinese Army) के दक्षिणी शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर हैं. बता दें कि नौ महीने के गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच सैनिकों की वापसी को लेकर सहमति बनी है. जिसके तहत दोनों पक्ष चरणबद्ध तरीके से पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों से सैनिकों को पीछे हटा रहे हैं. सैनिकों की वापसी की यह प्रक्रिया 10 फरवरी को शुरू हुई थी.
Finger 3 पर रहेगी सेना
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने 11 फरवरी को संसद में एक बयान में कहा था कि भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का समझौता हो गया है. समझौते के अनुरूप चीन अपनी सेना को हटाकर पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे में फिंगर 8 क्षेत्र की पूर्व दिशा की ओर ले जाएगा. जबकि भारत अपनी सैन्य टुकड़ियों को फिंगर 3 के पास स्थायी शिविर धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा. इसी तरह का कदम पैंगोंग झील के दक्षिणी तट क्षेत्र में उठाया जाएगा.
China ने कबूला अधूरा सच
चीन ने पहली बार औपचारिक तौर पर कबूल किया है कि गलवान घाटी (Galwan Valley) के खूनी संघर्ष में उसके भी सैनिक मारे गए थे. हालांकि, यह अधूरा सच है, क्योंकि चीन का कहना है कि उसके केवल 5 सैनिक ही मारे गए, जबकि कई रिपोर्टों में इससे कहीं ज्यादा संख्या की बात कही गई है. भारत की तरफ से दावा किया गया था कि हिंसा में चीन के 50 के आसपास सैनिक मारे गए थे. वहीं, रूस की सामाचार एजेंसी TASS ने दावा किया कि 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प में कम से कम 45 चीनी सैनिकों की मौत हुई थी.