मुंबई: संविधान निर्माता भीम राव आंबेडकर (Baba Saheb Ambedkar) के पोते प्रकाश आंबेडकर (Prakash Ambedkar) ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) को लेकर विवादित बयान दिया है. भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने RSS की तुलना आतंकवादी संगठन से की है. मुंबई के उपनगर कल्याण की एक जनसभा में प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि RSS वाले शस्त्र पूजा करते हैं. ऐसा केवल आतंकवादी करते हैं. जब देश में पुलिस है सेना है तो किसी संगठन को हथियार रखने और उसकी पूजा करने की क्या जरूरत है.


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प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान लिख कर इतिहास रचा, दलित समाज को भी प्रकाश आंबेडकर को वोट देकर सांसद में भेजना होगा, ताकि दलित और मजबूत हो सकें. कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी के बारे में ओवैसी ने कहा कि जनेऊधारी राहुल कभी मुसलमानों के हित की बात नहीं करते. कांग्रेस सिर्फ मुसलमानों का वोट लेती है. केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का मजाक उड़ाते हुए ओवैसी ने कहा कि वह चौकीदार की चमचागिरी करते हैं.


प्रकाश आंबेडकर इससे पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि जो लोग वंदे मातरम बोलते हैं, वे राष्ट्र विरोधी हैं. आंबेडकर ने कहा कि जब राष्ट्रगान (जन गण मन) के होते हुए भी वंदे मातरम की क्या जरूरत है.


प्रकाश आंबेडकर जिस जनसभा में ये बातें कह रहे थे वहां एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी मौजूद थे. यहां ओवैसी ने कहा कि योगगुरु रामदेव के बाद अब एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भारत रत्न को दिए जाने को लेकर सवाल उठाए है. ओवैसी का कहना है कि अभी तक कितने दलित, आदिवासियों और गरीब ब्राह्मणों के दिया गया है? महाराष्ट्र के कल्याण में रैली के दौरान ओवैस ने कहा, 'मुझे ये बताओ कि जितने भारत रत्न के सम्मान दिए गए उसमें से कितने दलित, आदिवासी, मुसलमान, गरीबों, ऊंची जातियों और ब्राह्मणों को दिए गए?' ओवैसी यहां प्रकाश आंबेडकर के लिए वोट मांग रहे थे. 



ओवैसी ने डॉ भीम राव आंबेडकर को भारत रत्न दिए जाने को भी मजबूरी बताया, उन्होंने कहा, 'बाबा साहब को भारत रत्न दिया गया पर दिल से नहीं दिया गया, मजबूरी की हालत में दिया.' इस सभा में ओवैसी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा की उन्होंने मुस्लिमों की नस्लों को बर्बाद किया.


चर्चा है कि प्रकाश आंबेडकर ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन किया है. प्रकाश आंबेडकर कई मौकों पर बीजेपी की नीतियों की आलोचना कर चुके हैं.