SC का सरकार को निर्देश, चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल कल पेश करें
Prashant Bhushan ने अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का मसला कोर्ट के सामने उठाया था. भूषण ने कोर्ट को बताया कि अरुण गोयल ने 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. 19 नवंबर को उनकी चुनाव आयुक्त के तौर पर नियुक्ति का आदेश आ गया और 21 नवंबर को उन्होंने कार्यभार संभाल लिया.
Supreme Court Modi Government: सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा है कि पिछले दिनों चुनाव आयुक्त बनाये गए अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फ़ाइल कल कोर्ट में पेश करे. कोर्ट ने कहा कि ये नियुक्ति तब हुई, जब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने मुख्य चुनाव आयुक्त और आयुक्तों की नियुक्ति प्रकिया को लेकर मामला लम्बित था. ऐसे में हम जानना चाहते है कि इस नियुक्ति में किस प्रकिया का पालन हुआ है.
19 नवंबर को चुनाव आयुक्त नियुक्त हुए
दरअसल वकील प्रशांत भूषण ने अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का मसला कोर्ट के सामने उठाया था. भूषण ने कोर्ट को बताया कि अरुण गोयल ने 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. 19 नवंबर को उनकी चुनाव आयुक्त के तौर पर नियुक्ति का आदेश आ गया और 21 नवंबर को उन्होंने कार्यभार संभाल लिया. आमतौर पर आयुक्त के पद पर सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति होती है, पर यहां मई से खाली पड़े पद पर ऐसे शख्स की नियुक्ति हुई जो गुरुवार तक सरकार में सेकट्री की जिम्मेदारी निभा रहे थे.
अटॉर्नी जनरल ने एतराज जताया
कोर्ट ने जब सरकार से अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फ़ाइल तलब की तो अटॉनी जनरल आर वेंकटमानी ने इस पर एतराज जाहिर किया. एजी ने कहा कि कोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े बड़े संवैधानिक मसले पर सुनवाई कर रहा है. किसी एक नियुक्ति पर संविधान पीठ को दखल देने की ज़रूरत नहीं.
'जब सब सही तो डर कैसा'
जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि हम पिछले गुरुवार से इस मामले को सुन रहे है. 19 नवंबर को ये नियुक्ति हो जाती है. अगर आप सही है, जैसा कि आप दावा कर रहे है तो फिर डरने की क्या ज़रूरत है. हम लोकतंत्र में जी रहे हैं. ये कोई ऐसा मामला नहीं है, जिसमें आपको जानकारी छुपाने की ज़रूरत पड़े.
'पीएम के मामले में भी भूमिका निभा सके CEC'
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त को इतना मजबूत होना चाहिए कि प्रधानमंत्री पर कोई ग़लती का आरोप लगने पर वो जिम्मेदारी निभा सके।जस्टिस जोसेफ ने कहा कि उदाहरण के लिए चुनाव आयुक्त को प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई कदम उठाना हो लेकिन आयुक्त कमज़ोर होगा तो वो कोई कदम ही नहीं उठा पायेगा. मैं यहां काल्पनिक तौर पर सिर्फ़ उदाहरण के लिए पीएम की बात कह रहा हूं. आयुक्त को स्वतंत्र , निष्पक्ष होना चाहिए. इसके लिए ज़रूरी लगता है कि उनका चयन सिर्फ कैबिनेट की सिफारिश बजाए उससे कहीं संस्था की ओर से हो चाहिए. नेता बाते तो करते रहे है, पर ज़मीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ.इस पर सरकार की ओर जवाब दिया गया कि सिर्फ काल्पनिक स्थिति के आधार पर कैबिनेट लर अविश्वास नहीं किया जाना चाहिए. अभी भी इन पदों पर योग्य व्यक्तियों का ही चयन हो रहा है.
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