नई दिल्ली: स्वीडन पिछले दो दिनों से सांप्रदायिक दंगों की चपेट में है. लेकिन क्या आपको पता है कि स्वीडन का कश्मीर से भी एक अद्भुत नाता है. उसका यह नाता जोड़ा है एक बुद्ध की मूर्ति ने, जो वहां मिट्टी की खुदाई के दौरान बरामद की गई थी. दरअसल, वर्ष 1954 में स्वीडन के एक द्वीप 'हेल्गो' में पुरातत्वविद उत्खनन कर रहे थे. तभी उन्हें मिट्टी में दबी हुई गौतम बुद्ध की मूर्ति मिली. इस मूर्ति को देखकर वे हैरान रह गए. उस मूर्ति की कार्बन जांच से पता चला कि वह मूर्ति 5वीं सदी की है. 


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कश्मीर में 5वीं सदी में बनी थी बुद्ध मूर्ति
जांच से यह पता चला कि वह मूर्ति भारत के कश्मीर में बनी. जिसे 8वीं सदी में स्वीडन पर काबिज वीकिंग राजाओं के शासन के दौरान वहां लाया गया. उस स्वीडन व्यापार और कला का बड़ा केंद्र होता था. जानकारी के मुताबिक कश्मीर पर लंबे अरसे तक बौद्ध राजाओं का शासन रहा. कश्मीर के शासक अशोक ने ही श्रीनगर शहर को बसाया था. महान बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन कश्मीर के ही निवासी थे. कुषाण राजा कनिष्क की अध्यक्षता में चौथी बौद्ध महापरिषद 78 ईसवी में कश्मीर में ही आयोजित की गई थी.



मूर्ति स्वीडन कैसे पहुंची, किसी को नहीं जानकारी
ऐसे में वह मूर्ति सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके स्वीडन कैसे पहुंची. इस बारे में आज तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. स्वीडन में मिली इस मूर्ति में भगवान बुद्ध ध्यान की मुद्रा में हैं और दोहरे कमल पर आसीन हैं. उनके माथे पर एक चांदी की बड़ी सी बिंदी सी है, जिसे उर्न कहा जाता है. ये तीसरी आंख का प्रतीक होती है. कहा जाता है कि भगवान शिव की तरह तीसरी आंख की अवधारणा बौद्ध अनुयायियों ने भी दूसरी सदी के आसपास ले ली थी.


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स्वीडन में लगने जा रही है यूरोप की सबसे बड़ी मूर्ति
वर्ष 2015 में स्वीडन सरकार के डाक विभाग ने इस मूर्ति पर एक स्टांप टिकट भी जारी किया था. फिलहाल बुद्ध की ये मूर्ति स्टॉकहोम के स्वीडिश हिस्ट्री म्यूजियम में रखी है. अब भगवान बुद्ध की एक बड़ी मूर्ति स्वीडन के फ्रेडरिका शहर में लगने जा रही है. जब ये बनकर तैयार होगी तो ये यूरोप की सबसे बड़ी बुद्ध मूर्ति होगी.