नई दिल्ली : तीन तलाक विधेयक, 2017 को केंद्रीय कैबिनेट ने कुछ संशोधन को मंजूरी दे दी है. जिसमें तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध तो माना गया है, लेकिन संशोधन के हिसाब से अब मजिस्ट्रेट को बेल देने का अधिकार होगा. सूत्रों के अनुसार, नियमों पर आपत्ति जताई जा रही थी. जिस कारण यह बिल राज्यसभा में अटक गया था। ऐसे में मंत्रिमंडल ने मामूली संशोधनों के साथ इसे पास किया है.


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2019 में के चुनावों से पहले मोदी सरकार इस कानून को किसी भी कीमत पर अमल में लाना चाहती है. वह इसे अगले चुनाव में बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुकी है. राज्यसभा के पिछले सत्र में इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोंक झोंक देखने को मिली थी. जब विपक्ष की तरफ से विधेयक को त्रुटिपूर्ण बताते हुए प्रवर समिति में भेजने की मांग की गई थी. कांग्रेस की तरफ से लोकसभा में बिल में पीड़ित महिला को पति के जेल जाने के बाद गुजारा भत्ता दिए जाने का संशोधन पेश किया गया था लेकिन यह संशोधन निचले सदन में गिर गया.


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कांग्रेस का इस मुद्दे पर कहना है कि वह पीड़ित को मुआवजा दिलाने की पक्षधर है. वहीं भाजपा की ओर से कहा जा रहा है कि वह इस विधेयक के राह में रोड़े अटका रही है.एक रैली के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि क्या कांग्रेस पार्टी सिर्फ मुस्लिम पुरूषों की है या मुस्लिम महिलाओं की भी है? मोदी ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी जानबूझकर तीन तलाक को अधर में लटकाकर मुस्लिम महिलाओं का विकास नहीं होने देना चाहती है.