Hindu Vs Muslims population: जनसंख्या में हिंदुओं को पीछे छोड़ सकते हैं मुस्लिम? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
Hindu Vs Muslims population in India: जानकारों ने इस बात को खारिज कर दिया कि भारत में मुसलमान जनसंख्या के मामले में हिंदुओं से आगे निकल सकते हैं. उन्होंने आंकड़ों के अनुसार कुछ खास बातें बताई हैं.
Hindu Vs Muslims population in India: क्या जनसंख्या में हिंदुओं को पीछे छोड़ सकते हैं मुस्लिम? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञअखिल भारतीय संत परिषद के हिमाचल प्रदेश प्रभारी यति सत्यदेवानंद सरस्वती ने हिंदुओं से भारत को इस्लामिक देश बनने से बचाने के लिए ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की है. जिसके बाद जनसांख्यिकीय और अन्य विशेषज्ञों ने बताया है कि भारत में क्या कभी मुस्लिमों की जनसंख्या हिंदुओं से ज्यादा हो सकती है.
मुसलमान नहीं हो सकते हिंदुओं से आगे
जनसांख्यिकीय और अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यति सत्यदेवानंद का यह दावा किसी भी गणितीय मॉडल द्वारा समर्थित नहीं है. विशेषज्ञों ने इस विचार को खारिज कर दिया कि भारत में मुसलमान जनसंख्या के मामले में हिंदुओं से आगे निकल सकते हैं.
हिंदुओं से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील
यति सत्यदेवानंद, यति नरसिंहानंद के नेतृत्व वाले संगठन के प्रदेश प्रमुख हैं जो नफरती भाषण मामले में वर्तमान में जमानत पर हैं. सरस्वती ने कहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है क्योंकि हिंदू बहुसंख्यक हैं, लेकिन मुस्लिम योजनाबद्ध तरीके से कई बच्चों को जन्म देकर अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं. उन्होंने पिछले हफ्ते हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के मुबारकपुर में संगठन की तीन दिवसीय 'धर्म संसद' के पहले दिन यह दावा किया था. सरस्वती ने कहा, 'इसलिए, हमारे संगठन ने भारत को इस्लामिक देश बनने से बचाने के लिए हिंदुओं से अधिक बच्चों को जन्म देने के लिए कहा है.'
कितने हैं हिंदु, मुस्लिम और बाकी धर्म के लोग
इस मामले में जितने विशेषज्ञों से सम्पर्क किया उन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया, जिसे राष्ट्रीय मीडिया में काफी विस्तार से प्रकाशित किया गया था. 2011 की जनगणना के अनुसार, हिंदू आबादी 79.80 प्रतिशत यानी 96.62 करोड़, मुसलमान 14.23 प्रतिशत यानी 17.22 करोड़, ईसाई 2.30 प्रतिशत यानी 2.78 करोड़ और सिख 1.72 प्रतिशत यानी 2.08 करोड़ हैं. परिवार कल्याण कार्यक्रम की समीक्षा करने वाली राष्ट्रीय समिति के पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र कोठारी ने वैज्ञानिक विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा कि अगली जनगणना में मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि दर कम हो जाएगी.
बढ़ जाएंगी हिंदू जनसंख्या
जनसंख्या एवं विकास विशेषज्ञ ने कहा, 'अगली जनगणना में, हिंदू आबादी 2011 की जनगणना के लिहाज से 79.80 प्रतिशत की तुलना में मामूली वृद्धि करते हुए लगभग 80.3 प्रतिशत हो जाएगी. मुस्लिम आबादी का हिस्सा या तो स्थिर हो जाएगा या नीचे चला जाएगा.' उन्होंने कहा, 'यदि हिंदू पूरी तरह से बच्चे पैदा करना बंद कर दें और ऐसा होने वाला नहीं है, तो यह संभव नहीं है.'
गणितीय मॉडल से भी समझाया पूरा मामला
अपनी पुस्तक 'द पॉपुलेशन मिथ: इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया' में, पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी का कहना है कि भारत में मुसलमानों की आबादी हिंदुओं की आबादी से अधिक 'कभी नहीं' हो सकती है. पुस्तक में इस पूर्वानुमान का समर्थन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दिनेश सिंह और प्रोफेसर अजय कुमार द्वारा दिये गणितीय मॉडल का उपयोग किया गया है. कुरैशी ने कहा कि यह 'दुष्प्रचार' लंबे समय से चल रहा है कि जनसंख्या के मामले में मुसलमानों द्वारा हिंदुओं को पीछे छोड़ दिया जाएगा. सिंह और कुमार दो गणितीय मॉडल लेकर आए हैं - बहुपद वृद्धि (पॉलिनॉमियल ग्रोथ) और घातांकी वृद्धि (एक्सपोनेंशियल ग्रोथ) जिसे जनसंख्या डेटा में फिट किया जाता है.
1951 से अब तक कितने बढ़े हिंदू-मुसलमान
बहुपद वृद्धि मॉडल से पता चलता है कि हिंदुओं की जनसंख्या, जो 1951 में 30.36 करोड़ थी, 2021 में बढ़कर 115.9 करोड़ होने का अनुमान है. 1951 में मुसलमानों की जनसंख्या 3.58 करोड़ से बढ़कर 2021 में 21.3 करोड़ होने का अनुमान है. यह पूर्वानुमान 2021 के लिए जताया गया था क्योंकि उस वर्ष फरवरी में पुस्तक आई थी. इसके अलावा, अगली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई है. गणितीय रूप से, मॉडल से पता चलता है कि मुस्लिम आबादी कभी हिंदू आबादी से अधिक नहीं हो सकती क्योंकि दोनों समुदायों की जनसंख्या का ग्राफ कभी नहीं मिल सकता है. पुस्तक में दिए गए मॉडल के अनुसार, 2021 में हिंदुओं की जनसंख्या बढ़कर 120.6 करोड़ होने का अनुमान है, जबकि 2021 में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 22.6 करोड़ होने का अनुमान है.
आने वाले 1000 साल तक नहीं है ऐसी संभावना
कुरैशी ने कहा, 'प्रोफेसर दिनेश सिंह और अजय कुमार के गणितीय मॉडलों ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि 1,000 वर्षों तक भी मुसलमानों के हिंदुओं से आगे निकलने की कोई संभावना नहीं है.' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सच है कि मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि प्रतिशत में हिंदुओं की जनसंख्या वृद्धि से अधिक है, लेकिन दोनों समुदायों के बीच जनसंख्या का अंतर इतना बड़ा है कि मुस्लिम तेजी से वृद्धि की दर के बाद भी हिंदुओं से आगे नहीं बढ़ रहे हैं.
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सिर्फ 4.4 प्रतिशत बढ़े मुसलमान
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत का जनसांख्यिकीय अनुपात मुसलमानों में 1951 में 9.8 से बढ़कर 2011 में 14.2 हो गया, जब पिछली जनगणना हुई थी, और हिंदुओं में 84.1 प्रतिशत से 79.8 प्रतिशत तक गिरावट आई थी. हालांकि, मुस्लिम आबादी में वृद्धि 60 वर्षों में सिर्फ 4.4 प्रतिशत है. (इनपुट: भाषा)
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