ISRO chief: इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि भारत को कार सेंसर निर्माण के लिए आयात पर निर्भर रहने की बजाय इसे देश में ही विकसित करने पर जोर देना चाहिए. उन्होंने बेंगलुरु प्रौद्योगिकी सम्मेलन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और रक्षा पर आयोजित सत्र में किफायती उत्पादन और घरेलू विनिर्माण की आवश्यकता पर बात की. इस दौरान कर्नाटक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी नीति का मसौदा भी जारी किया गया.


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उच्च लागत बनी सबसे बड़ी चुनौती


सोमनाथ ने बताया कि भारत रॉकेट सेंसर के निर्माण में बड़ी भूमिका निभा रहा है, लेकिन कार सेंसर की उत्पादन लागत अधिक होने के कारण देश में इसका निर्माण मुश्किल हो जाता है. उन्होंने कहा कि यदि उत्पादन लागत कम हो और विनिर्माण का स्तर बढ़ाया जाए, तो यह समस्या हल हो सकती है.


उद्योग जगत से सहयोग की अपील


इसरो प्रमुख ने इस चुनौती से निपटने के लिए उद्योग जगत से अधिक सहयोग की मांग की. उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत नीतिगत सुझावों से समाधान मिल सकता है. साथ ही, उन्होंने 2020 में लागू अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों और 2023 की अंतरिक्ष नीति की सराहना करते हुए कहा कि ये निजी क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल माहौल बना रहे हैं.


भारत में अगला 'स्पेसएक्स' बनाने की तैयारी


सोमनाथ ने बताया कि भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में रुचि तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने कहा, "कई लोग भारत में अगला 'स्पेसएक्स' बनाने की इच्छा रखते हैं." वर्तमान में पांच कंपनियां उपग्रह निर्माण कर रही हैं, और कई अन्य कंपनियां रॉकेट और उपग्रहों के लिए उप-प्रणालियों का विकास कर रही हैं.


कर्नाटक की अंतरिक्ष नीति का लक्ष्य


कार्यक्रम में कर्नाटक के आईटी मंत्री प्रियंक खरगे ने बताया कि मसौदा नीति का उद्देश्य कर्नाटक को राष्ट्रीय अंतरिक्ष बाजार में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी दिलाना है. इसके साथ ही, राज्य को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की योजना है.


प्रमुख वक्ताओं की भागीदारी


इस सत्र में डीआरडीओ के महानिदेशक बी. के. दास और अमेरिका की उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ऐनी न्यूबर्गर ने भी अपने विचार साझा किए. कर्नाटक सरकार की सचिव एकरूप कौर और अन्य प्रमुख लोग भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे, जिन्होंने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास और इसके भविष्य पर चर्चा की.


(एजेंसी इनपुट के साथ)