100 करोड़ की वसूली मामले में बढ़ी अनिल देशमुख की मुश्किलें, CBI ने हिरासत में लिया
100 करोड़ रुपये की वसूली मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को हिरासत में ले लिया है, जिन्हें स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश किया जाएगा.
मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के सिलसिले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने हिरासत में ले लिया है. इससे पहले अनिल देशमुख ने इससे बचने के लिए विशेष अदालत की अनुमति को बंबई हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसकी सुनवाई होनी बाकी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सीबीआई ने अनिल देशमुख को मुंबई की आर्थर रोड जेल से हिरासत में लिया है, जिन्हें स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश किया जाएगा.
सीबीआई की विशेष अदालत ने दी थी अनुमति
बता दें कि सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 31 मार्च को सीबीआई (CBI) द्वारा दायर एक आवेदन को अनुमति दी थी और एजेंसी को अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के अलावा तीन अन्य संजीव पलांदे, कुंदन शिंदे (अनिल देशमुख के पूर्व सहयोगी) और बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को हिरासत में लेने की अनुमति दी थी.
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मंगलवार को मिली थी अस्पताल से छुट्टी
अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को मंगलवार को मुंबई के सरकारी जे.जे. अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी, जिन्हें कंधे में दर्द की शिकायत के बाद शनिवार (2 अप्रैल) को आर्थर रोड जेल से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पूर्व मंत्री को 100 करोड़ रुपये की वसूली मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया था.
पूर्व कमिश्नर ने लगाए थे गंभीर आरोप
मुंबई (Mumbai) के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Param Bir Singh) ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) पर गंभीर आरोप लगाए थे. परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर कहा था, 'अनिल देशमुख हर महीने 100 करोड़ रुपये मांगते थे. इसके लिए उन्होंने सचिन वझे (Sachin Vaze) को वसूली करने को कहा था.'
परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने सचिन वझे को कई बार उनके सरकारी निवास पर बुलाया था और हर महीने 100 करोड़ की वसूली का टारगेट दिया था. आरोप के मुताबिक, 'देशमुख ने वझे से ये कहा था कि मुंबई में 1750 बार और रेस्टारेंट हैं. हर एक से दो-तीन लाख रुपये महीना वसूला जाए तो 50 करोड़ बन जाते हैं. बाकि रकम अन्य जगह यानी सोर्स से वसूली जा सकती है.' आरोप लगने के बाद अनिल देशमुख को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था और नवंबर में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था.
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