विष्णु की मूर्ति, चक्र जैसी आकृति, चीख-चीखकर गवाही दे रहे ये अवशेष, संभल मामले के सबसे बड़े सबूत
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विष्णु की मूर्ति, चक्र जैसी आकृति, चीख-चीखकर गवाही दे रहे ये अवशेष, संभल मामले के सबसे बड़े सबूत

Sambhal News: संभल में जामा मस्जिद पर विवाद तब और गहराया, जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया. ASI ने मस्जिद प्रबंधन कमेटी पर आरोप लगाया है कि वे सर्वेक्षण और निरीक्षण में बाधा डालते हैं.

विष्णु की मूर्ति, चक्र जैसी आकृति, चीख-चीखकर गवाही दे रहे ये अवशेष, संभल मामले के सबसे बड़े सबूत

Sambhal Archaeological Findings: संभल में हाल ही में एक बड़ा दावा सामने आया है. कहा जा रहा है कि यहां जामा मस्जिद जिस स्थान पर स्थित है, वह कभी हरिहर मंदिर था. दावा करने वालों का कहना है कि मंदिर से जुड़े कई प्राचीन अवशेष अब भी मौजूद हैं, जिनमें भगवान विष्णु की मूर्ति और उनके चक्र जैसी आकृतियां शामिल हैं.

गुप्तकाल से जुड़ा हरिहर मंदिर का इतिहास?
इस दावे के मुताबिक, संभल में मिले कुछ अवशेष गुप्तकाल और मौर्यकाल के हो सकते हैं. यही नहीं, दावा किया गया है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में यहां हरिहर मंदिर बनवाया गया था, जिसे बाद में तोड़कर जामा मस्जिद का निर्माण हुआ. इस दावे को समर्थन देने के लिए कुछ नक्शे और सरकारी दस्तावेज भी पेश किए गए हैं.

अतुल मिश्र का दावा और संग्रहालय
संभल के आर्कियोलॉजिस्ट अतुल मिश्र और उनके परिवार ने इन दावों को बल दिया है. मिश्र परिवार के पास कई पुरातात्विक अवशेषों का निजी संग्रह है, जिसमें भगवान विष्णु की मूर्ति, शुंग काल की प्रतिमाएं, और मौर्यकाल की नागमुखी मातृ देवी की मूर्ति भी शामिल हैं. अतुल मिश्र का कहना है कि ये सभी अवशेष संभल में खुदाई के दौरान मिले हैं और ये साबित करते हैं कि यहां हरिहर मंदिर हुआ करता था.

ASI के हलफनामे से उठा विवाद
संभल में जामा मस्जिद पर विवाद तब और गहराया, जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया. ASI ने मस्जिद प्रबंधन कमेटी पर आरोप लगाया है कि वे सर्वेक्षण और निरीक्षण में बाधा डालते हैं. ASI का कहना है कि 1920 से जामा मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है, लेकिन इसके बावजूद निरीक्षण टीम को अंदर जाने से रोका जाता है.

पिछले निरीक्षण में ASI ने मस्जिद के अंदर कई बदलाव पाए थे, जो नियमों के विरुद्ध हैं. इसके चलते मस्जिद कमेटी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है. सवाल उठता है कि मस्जिद प्रबंधन ASI के काम में दखल क्यों दे रहा है? क्या कुछ ऐसा है, जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही है?

यह मामला अभी भी जांच के दायरे में है. अतुल मिश्र और उनके परिवार के दावे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन ASI और मस्जिद प्रबंधन के बीच का विवाद सुलझने के बाद ही इन दावों की सच्चाई सामने आ पाएगी. फिलहाल, इस मुद्दे पर सभी की नजरें ASI की आगामी रिपोर्ट पर टिकी हैं.

ब्यूरो रिपोर्ट.. जी मीडिया

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