CEC Rajiv Kumar: मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार को उत्तराखंड के एक 'भूतहा गांव' में शून्य से नीचे के तापमान में रात गुजारनी पड़ी. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को लेकर जा रहे एक हेलीकॉप्टर को बुधवार देर रात खराब मौसम के कारण मुनस्यारी के निकट एक दूर गांव में आपात स्थिति में उतारना पड़ा. जिसके कारण सीईसी, दो पायलटों और दो निर्वाचन अधिकारियों को शून्य से नीचे तापमान में एक निर्जन घर में रात बितानी पड़ी. निर्वाचन अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. 


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कौन से 'भूतहे गांव' में गुजारी रात?
कुमार और दो पायलटों सहित 5 अधिकारियों ने पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी ब्लॉक के एक छोटे से गांव रालम में रात बिताई. रालम एक सुदूर इलाके में स्थित है और बर्फ से ढका हुआ है, जिसमें 28 घर हैं, लेकिन वर्तमान में यह सुनसान है क्योंकि इसके निवासी कहीं और चले गए हैं. कुमार, उत्तराखंड के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी विजय कुमार, उनके निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) नवीन कुमार और दो पायलटों के साथ रालम गांव में रात भर रुकना पड़ा.


मतदान केंद्रों को देखने गए थे CEC 
सीईसी पिथौरागढ़ के दूरदराज के मतदान केंद्रों के निर्धारित दौरे पर थे ताकि क्षेत्र के ऊंचाई वाले और कठिन इलाकों में मतदान दलों और मतदाताओं के सामने आने वाली चुनौतियों की प्रत्यक्ष जानकारी हासिल कर सकें. उन्होंने आसपास के 14 गांवों में मतदान केंद्रों का दौरा करने की योजना बनाई थी. हालांकि, खराब मौसम के कारण, उनके हेलीकॉप्टर को रालम के पास आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी. समूह ने रात इसी भूतहे गांव में बिताई. जहां शून्य से नीचे का तापमान था, आज सुबह उन्हें सुरक्षित लाया गया. मौसम ठीक होने के बाद उनके हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी और सुरक्षित रूप से मुनस्यारी तहसील मुख्यालय पहुंच गया.


क्या हुई थी घटना?
पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी विनोद गिरीश गोस्वामी ने बताया कि हेलीकॉप्टर मिलम हिमनद के रास्ते में था और प्रतिकूल मौसम के कारण उसे देर रात करीब एक बजे आपात स्थिति में उतारना पड़ा. उन्होंने बताया कि उस वक्त घने बादल छाए रहने और दृश्यता बेहद कम होने के कारण हेलीकॉप्टर को मुनस्यारी से 42 किलोमीटर पहले रालम गांव में देर रात करीब डेढ़ बजे एक हेलीपैड पर उतारा गया था. इससे पहले भी कुमार ने क्षेत्र के दूरदराज के मतदान केंद्रों का दौरा किया था. वर्ष 2022 में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद उन्होंने मतदान कर्मचारियों के सामने आने वाली कठिनाइयों का अनुभव करने के लिए चमोली जिले के डुमक गांव में सबसे दूरस्थ मतदान केंद्रों में से एक का दौरा किया था. इस दौरे के बाद जिला निर्वाचन अधिकारियों ने मतदान केंद्र के लिए मार्ग मानचित्रों की समीक्षा की और उसके अनुरूप, गंतव्य तक पहुंचने का मार्ग तलाशा. इसके लिए दो से तीन दिन की यात्रा करनी पड़ती है. ऐसे दुर्गम इलाकों में ईवीएम ले जाने के लिए एक विशेष बैगपैक का भी इस्तेमाल किया गया.