Delhi Government Executive Power: दिल्ली में सेवाओं पर किसका नियंत्रण होगा. क्या उपराज्यपाल वैधानिक तौर पर दिल्ली सरकार से जुड़ी सेवाओं पर फैसला ले सकते है. क्या दिल्ली सरकार पर उनका फैसला अंतिम रूप से बाध्यकारी होगा इसे लेकर विवाद था. मामला सुप्रीम कोर्ट गया और पांच जजों की संवैधानिक पीठ का फैसला साफ था कि कार्यकारी शक्तियों पर अधिकार तो दिल्ली सरकार का ही है. पीठ के फैसले के कुछ दिन बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी किया और विवाद जस का तस फिर सामने आया. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ रुख करते हुए अध्यादेश की वैधानिकता पर सवाल उठाया. इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. अदालत ने केंद्र सरकार से सीधा सवाल किया कि क्या 239 एए के उपबंध सात के तहत संसद के पास कानून को लागू करने की शक्ति क्या है. क्या संसद 239 के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के नियमों के छिनने में इस्तेमाल कर सकता है. अदालत ने इन नियमों की जांच के लिए एक बार फिर संवैधानिक पीठ को मामला सुपुर्द किया है.


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239 एए(7) पर कई सवाल


239 एए(7) के मुताबिक संसद से बने कानून के जरिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की कार्यकारी शक्तियों को नियंत्रित किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट अब दोबारा इस नियम की संवैधानिक स्थिति को देख रही है. अदालत ने दो सवाल स्पष्ट तौर पर पूछे कि 239 एए(7 ) के तहत संसद के पास क्या शक्तियां हैं और क्या संसद एनसीटीडी के नियमों को खारिज कर सकती है.फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए जो अध्यादेश जारी किया है उस पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया है. नोटिस जारी कर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल से अपने पक्ष को साफ करने के लिए कहा गया है.239 एए का उपबंध 7 के मुताबिक संसद कानून के जरिए सेवाओं से संबंधित जो पहले से स्थापित खंड है उन्हें प्रभावी या विकल्प के तौर कानून बनाने की शक्ति रखती है. इस उपखंड में इस बात का जिक्र है कि अगर कोई कानून बनाया जाता है तो वो अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन नहीं माना जाएगा.


आरोप- प्रत्यारोप तेज


दिल्ली सरकार का कहना है कि आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता बीजेपी को रास नहीं आ रही है और उसका नतीजा सामने है. यह बड़े आश्चर्य की बात है कि एक निर्वाचित सरकार अपने कर्मचारियों के बारे में फैसला नहीं कर सकती है. हाल ही में जब दिल्ली के कुछ इलाके बाढ़ की पानी में डूबे तो आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि शीर्ष अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी और उसका असर सामने नजर आया. ये बात अलग कि बीजेपी ने कहा कि नाकामियों का ठीकरा फोड़ने की आदत अरविंद केजरीवाल सरकार की पहले से रही है.