नई दिल्ली: सरकार ने आज संसद में कहा कि योग विद्या में भगवान शिव को ‘‘आदियोगी’’ के रूप में देखा जाता है तथा योग का पेटेंट नहीं किया जा सकता. आयुष मंत्री श्रीपाद येसो नाईक ने कहा कि योग की जड़ें पारंपरिक ज्ञान में हैं जिसे पेटेंट नहीं किया जा सकता. इसके अतिरिक्त पेटेंट का दावा केवल प्रथम आविष्कारक अथवा उसके प्रतिनिधि द्वारा ही किया जा सकता है. 


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नाईक ने कहा कि सरकार का योग पर इस तरह का कोई अधिकार नहीं है. नाईक ने यह बात पी एल पुनिया के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा में कही. उनसे प्रश्न किया गया था कि क्या सरकार ने योग मुद्राओं के लिए पेटेंट प्राप्त करने हेतु प्रयास किए हैं? 


 'योग विज्ञान का उद्गम हजारों वर्ष पूर्व हुआ था'
आयुष मंत्री ने कहा कि यह माना जाता है कि योगाभ्यास का आरंभ सभ्यता के उद्भव के साथ ही हुआ था. योग विज्ञान का उद्गम हजारों वर्ष पूर्व हुआ था. योग विद्या में भगवान शिव को प्रथम योगी अथवा आदियोगी तथा प्रथम गुरु अथवा आदिगुरु के रूप में देखा जाता है.


उन्होंने कहा कि योग जैसे कार्यकलाप करने वाले योगिक प्रयोजनों और आकृतियों वाली सिंधु-सरस्वती घाटी की सभ्यता की मुद्राओं और जीवाश्मों के अवशेषों की संख्या बताती है कि प्राचीन भारत में योग मौजूद था. योग की चर्चा लोक परंपराओं, वेद एवं उपनिषदों की विरासत, बुद्ध एवं जैन परंपराओं, दर्शनों, महाभारत एवं रामायण महाकाव्यों, शैव और वैष्णव परंपराओं और तांत्रिक परंपराओं में मिलती है.


(इनपुट - भाषा)