Cooking Oil में आई तेजी को लेकर केंद्र सरकार चिंतित, दामों को काबू में लाने के लिए उठा रही कदम
नागपालन ने कहा कि सरकार को सरसों बीज और सरसों तेल पर लागू पांच प्रतिशत जीएसटी को हटाने का फैसला लेना चाहिए.
नई दिल्ली: घरेलू बाजार में खाद्य तेल के दाम में 62 प्रतिशत से ज्यादा उछाल आने को लेकर चिंतित सरकार ने सोमवार को मूल्यों में आई असामान्य वृद्धि पर विभिन्न पक्षों के साथ विचार विमर्श किया. इस दौरान केन्द्र सरकार ने दाम में नरमी लाने के लिये राज्यों और उद्योग जगत से जरूरी उपाय करने को कहा. केन्द्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने संबंद्ध पक्षों के साथ विस्तार से चर्चा की और कहा कि बैठक में जो सुझाव दिये गये हैं उनसे ऐसे समाधान पर पहुंचा जा सकेगा जिससे उपभोक्ताओं को खाद्य तेल उचित दाम पर उपलब्ध हो सकेंगे.
केंद्र सरकार को मिले ये सुझाव
तेल उद्योग एवं व्यापार के केन्द्रीय संगठन (सीओओआईटी) के चेयरमैन सुरेश नागपाल भी इस बैठक में मौजूद थे. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कम नहीं करना चाहिये और न ही इससे कृषि उपकर को हटाना चाहिये. ऐसा करने से किसान हतोत्साहित होंगे और आगामी खरीफ मौसम की बुवाई पर इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है. नागपालन ने कहा कि सरकार को सरसों बीज और सरसों तेल पर लागू पांच प्रतिशत जीएसटी को हटाने का फैसला लेना चाहिए.
दामों के बढ़ने से आम लोगों को परेशानी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य तेलों के दाम पिछले एक साल में 62 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ चुके हैं. इनके दाम बढ़ने से कोविड-19 महामारी से पहले से ही परेशान उपभोक्ता की परेशानी और बढ़ी है. इस संबंध में जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, 'खाद्य तेलों के दाम में हुई असामान्य वृद्धि पर विचार विमर्श को लेकर अपनी तरह की यह पहली बैठक हुई है.'
आयात पर निर्भरता चिंताजनक
खाद्य सचिव ने कहा कि बैठक करने की जरूरत इस बात को लेकर महसूस की गई कि केन्द्र सरकार पिछले कुछ महीनों के दौरान खाद्य तेलों के दाम में जारी वृद्धि को लेकर चिंतित है. खासतौर से खाद्य तेलों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में हुई वृद्धि के मुकाबले घरेलू बाजार में होने वाली आनुपातिक वृद्धि से ज्यादा दाम चढ़े हैं. उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों के मामले में देश की आयात पर 60 प्रतिशत निर्भरता घरेलू उद्योग के लिये ठीक नहीं है. देश में तिलहन का उत्पादन और उसकी उपलब्धता घरेलू मांग से कम है. इसे पूरा करने के लिये हर साल बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात किया जाता है. ऐसे में वैश्विक बाजार में दाम में घटबढ़ होने का असर घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम पर पड़ता है.
सभी पक्षों को उठाने होंगे कदम
सरकारी बयान में पांडे के हवाले से कहा गया है, 'दाम पर अंकुश रखने के लिये अल्पकालिक उपायों और खाद्य तेल उत्पादन के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के वास्ते दीर्घकालिक उपायों के बीच संतुलन रखने की जरूरत है.' उन्होंने कहा कि सभी राज्यों और खाद्य तेल व्यवसाय से जुड़े सभी पक्षों को दाम में नरमी लाने के लिये हर संभव कदम उठाने चाहिये.
केंद्र सरकार कर रही है अपनी तरफ से प्रयास
पांडे ने आगे कहा कि बैठक में जो भी सुझाव दिये गये उनसे खाद्य तेल मूल्यों के मामले में एक बेहतर समाधान तक पहुंचने में मदद मिलेगी साथ ही घरेलू तिलहन क्षेत्र में वृद्धि को भी हासिल किया जा सकेगा. उन्होंने सभी पक्षों से अपने अपने सुझाव और अन्य जानकारियों मेल करने को कहा. केन्द्र सरकार खाद्य तेलों को उचित दाम पर उपलब्ध कराने के लिये प्रयास कर रही है.
कई राज्यों-संगठनों के अधिकारी रहे मौजूद
बैठक में पांडे के अलावा केन्द्रीय कृषि और उपभोक्ता मामलों के सचिव, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिल नाडु सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. इनके अलावा खाद्य तेल तिलहनों के उत्पादक, मिलर्स, स्टाकिस्ट, थोक विक्रेता और खाद्य तेल उद्योग से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी भी बैठक में पहुंचे थे.
बफर स्टाक बनाने का प्रस्ताव
सीओओआईटी के चेयरमैन ने सरकार के समक्ष खाद्य तेलों का बफर स्टॉक बनाने का सुझाव रखा. स्टॉक के लिये स्थानीय उत्पादकों से खाद्य तेल खरीदने और उसे राशन प्रणाली के जरिये वितरित करने का सुझाव दिया. इस बफर स्टॉक का बाजार में हस्तक्षेप के लिये भी इसतेमाल किया जा सकता है.
अगले कुछ दिनों में कम होंगे दाम
सरकार को जिंस एक्सचेंजों को तिलहन और खाद्य तेलों पर सर्किट सीमा को कम करना चाहिए. इसके साथ ही सीओओआईटी चेयरमैन ने कहा कि खाद्य तेलों के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले एक सप्ताह में ही कम हुये हैं इसका असर स्थानीय बाजार में आने में कुछ समय लगेगा. अगले एक सप्ताह अथवा दस दिन में इसका असर देखा जा सकता है.
लगातार बढ़े खाद्य तेलों के दाम
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पाम तेल का खुदरा मूल्य पिछले एक साल में 85 रुपये से बढ़कर 138 रुपये किलो हो गया. यह वृद्धि 62.35 प्रतिशत की रही है. इसी प्रकार सुरजमुखी तेल का दाम 59 प्रतिशत बढ़कर 175 रुपये, वनस्पति का दाम 56 प्रतिशत बढ़कर 140 रुपये, सोया तेल का दाम 55 प्रतिशत बढ़कर 155 रुपये, मूंगफली तेल का दाम 35.33 प्रतिशत बढ़कर 180 रुपये, सरसों तेल का दाम 48 प्रतिशत बढ़कर 170 रुपये किलो तक पहुंच गया है.