भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया. एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए इसे लॉन्च किया गया. इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की योजना है. इसके बाद 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग किए जाने की योजना है. 


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उन्होंने बताया, 'हमने पहले साल में देखा कि पहले क्या गलती की थी और उसके बाद दूसरे साल में क्या सुधार किया जाए कि ये बेहतर हो. फिर हमने देखा कि और क्या गलती हुई थी क्योंकि कुछ समस्याएं छिपी होती है जो हमने समीक्षा और टेस्ट द्वारा पता लगाया. तीसरे साल हमने सभी टेस्टिंग की और अंतिम साल में हमने अंतिम संयोजन और तैयारी की. मैं इस कार्य के लिए पूरी टीम को बधाई देता हूं.'


पहले पृथ्वी के चक्कर लगाएगा चंद्रयान-3
इसरो के अनुसार, उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया. चंद्रयान-3 यह चांद के कक्षा की ओर अपने सफर को जारी रखते हुए पृथ्वी के 5 से 6 चक्कर लगाएगा. ये चक्कर पृथ्वी से दूर एक अण्डाकार चक्र में 170 किमी से 36,500 किमी के बीच लगाएगा. इसके बाद वो चांद की तरफ सीधे आगे बढ़ जाएगा. यहां से उसे चांद के कक्षा में प्रवेश करने में 5 से 6 दिनों का समय लग सकता है.


चांद के कक्षा में प्रवेश करने में पहुंचने के बाद लैंडर के साथ प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर दूर तक पहुंचने में करीब एक महीने का समय लग सकता है. इस दौरान वो चंद्रमा के भी 5 से 6 चक्कर लगाएगा.


24 अगस्त को लैंडिंग की उम्मीद
इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि जरूरी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के लिए उतरना शुरू कर देगा और यह कवायद 23 या 24 अगस्त को होने की उम्मीद है. भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है.


इसरो ने पूर्व में कहा था कि ‘चंद्रयान-3’ कार्यक्रम के तहत इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल की मदद से चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ और चंद्र भूभाग पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करके नए कीर्तिमान स्थापित करने जा रहा है. चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है.


न हो पिछली बार वाली गलती इसके लिए...
चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 जैसी गलतियां न हों इसके लिए इसकी ताकत को कई गुणा बढ़ा दिया गया है. इसमें नए सेंसर्स, नया सोलर पैनल लगाया गया है. साथ ही इसकी लैंडिंग की जगह का एरिया भी बढ़ाया गया है. अब लैंडिंग के लिए 4 किलोमीटर x 2.5 किलोमीटर का एरिया रखा गया है. पिछली बार ये आकार 500 मीटर X 500 मीटर का था. ऐसे में इस बार लैंडिंग के लिए काफी बड़ा एरिया होगा.


इस बार विक्रम लैंडर के इंजन को भी काफी ताकतवर बनाया गया है. इसके सेंसर्स तुरंत खराबी को ठीक करने में सक्षम हैं. इसमें ट्रैकिंग, टेलिमेट्री और कमांड एंटीना भी मौजूद हैं, इससे किसी भी प्रकार की गलती को तुरंत ठीक करने में मदद मिलेगी.