यहां जानवरों को मां की तरह अपना दूध पिलाती हैं महिलाएं, PHOTO VIRAL
मिशलिन स्टार अवॉर्ड के विनर विकास खन्ना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक फोटो शेयर किया है, जिसमें एक महिला हिरण के बच्चे को अपना दूध पिलाती नजर आ रही है.
नई दिल्ली: मिशलिन स्टार अवॉर्ड के विनर शेफ विकास खन्ना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक फोटो शेयर किया है, जिसमें एक महिला हिरण के बच्चे को अपना दूध पिलाती नजर आ रही है. फोटो शेयर करते हुए विकास खन्ना ने लिखा, "मानवता का सबसे बड़ा रूप दया है." साथ ही उन्होंने लिखा, "एक बिश्नोई समाज की महिला ने हिरण के बच्चे को दूध पिलाने के बाद बताया कि उसने राजस्थान के रेगिस्तान में कई घायल और अनाथ हिरण के बच्चों की जान बचा चुकी है." इस फोटो को अब तक 28 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं.
राजस्थान के बिश्नोई समाज में सैकड़ों सालों से जानवरों को अपने बच्चों की तरह पालते हुआ आ रहे हैं. इस समाज की महिलाएं न सिर्फ जानवरों को बच्चों की तरह पालती हैं, बल्कि उन्हें मां की तरह दूध भी पिलाती हैं. इस समाज के बच्चे भी जानवरों के साथ पलते-बढ़ते हैं. इससे वे बचपने से ही उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानकर उनका ख्याल रखते हैं. हिरण के बच्चे भी लोगों के साथ रहते हुए इनसानों की भाषा को समझने लग जाते हैं. ऐसे में उनके बीच एक भावनात्मक जुड़ाव और दृढ़ हो जाता है.
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बिश्नोई समाज
माना जाता है बिश्नोई समाज को ये नाम भगवान विष्णु से मिला है. समाज के लोग पर्यावरण की पूजा करते हैं. इसलिए उन्हें प्रकृति के सबसे निकट माना जाता है. इस समाज के लोग ज्यादातर जंगल और थार के रेगिस्तान के पास रहते हैं.
पेड़ों के लिए 363 लोगों ने दे दी थी जान
साल 1736 में खेजड़ली गांव व आसपास का इलाके में काफी पेड़ थे. दरबार के लोग जब यहां पेड़ काटने पहुंचे तो गांव के लोग इसका विरोध करने वहां जा पहुंचे. अमृतादेवी बिश्नोई ने गुरु जम्भेश्वर महाराज की सौगंध दिलाई और पेड़ से चिपक गईं. उन्हें देख अन्य लोगों ने भी ऐसा किया. इसके बाद दरबार के लोगों की कई कोशिशों के बाद भी जब ग्रामीण पेड़ से अलग नहीं हुए तो संघर्ष शुरू हो गया, जिसमें 363 लोग मारे गए.