इस किलर मशीन से घबराए China-Pakistan, ऊंची चोटियों पर मचा सकती है कहर
भारत ने ऊंचे पहाड़ों पर चीन पाकिस्तान से निपटने के लिए लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर (LCH) तैयार किए हैं. ये हेलीकॉप्टर बिना रडार की पकड़ में आए किसी भी मौसम और वक्त में दुश्मन पर कहर बरपा सकते हैं.
बेंगलुरू: वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया (RKS Bhadoria) ने बेंगलुरू में HAL के बनाये गए लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर (LCH) का जायजा लिया और साथ ही उड़ान भी भरी. उनकी ये उड़ान इसलिए खास है क्योंकि इसी साल अगस्त में LCH को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तैनात किया जा चुका है. एक्सपर्ट्स की मानें तो हाई ऑल्टीटियूड वॉरफेयर में LCH अपाचे से भी ज्यादा प्रभावी हैं.
दुनिया का सबसे हल्का अटैक हेलीकॉप्टर
वायु सेना अधिकारियों के मुताबिक ये दुनिया का सबसे हल्का अटैक हेलीकॉप्टर है. इसका ताकत का नमूना सियाचिन में लैंडिंग के साथ दिख गया था. जो काम दुनिया का सबसे एडवांस्ड हेलीकॉप्टर अपाचे नहीं कर सकता वो LCH ने कर दिखाया था. इसके लगभग 3 महीने बाद वायु सेना प्रमुख की इस उड़ान ने दुनिया को ये बता दिया है कि आने वाले समय में ये लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर आधिकारिक तौर पर भारतीय वायु सेना का हिस्सा होंगे.
LAC पर अगस्त में हो चुका है तैनात
भारत के लिए LCH हाई ऑल्टीड्यूड वॉरफेयर में क्यों अहम हो गया है. इसे जानने के लिए आपको तीन महीने पीछे जाना होगा. चीन से चल रही तनातनी के बीच भारत ने अपने पहले स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर LCH को LINE OF ACTUAL CONTROL पर तैनात कर दिया था. इन अटैक हेलीकॉप्टर्स की तैनाती को हर कोई हैरत भरी निगाह से इसलिए देख रहा था, क्योंकि ना तो ये अबतक आधिकारिक रूप से भारतीय वायु सेना से जुड़े हैं और ना ही ये भारतीय सेना के सबसे एडवांस हेलिकॉप्टर्स हैं. ऐसे में सबके होंठों पर सवाल था कि अमेरिकी अपाचे से पहले LCH की तैनाती क्यों की गई.
ऊंची चोटियों पर अपाचे से भी ज्यादा कारगर
दरअसल भारत के पास इस वक्त मौजूद अमेरिका का एएच-64 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर दुनिया में सबसे आधुनिक तो है. लेकिन LCH ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों यानी कि हाई ऑल्टीट्यूड वॉरफेयर में जंग लड़ने के लिए अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर से ज्यादा घातक है. हाई ऑल्टीट्यूड वॉरफेयर में LCH की रेंज ज़्यादा लंबी है. लद्दाख बॉर्डर 18000 फीट तक की ऊंचाई पर भी है. ऐसे इलाकों और बर्फीले मौसम में रोटरी विंग्स वाले अपाचे को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन बेहद लाइट यानि हल्का होने और खास रोटर्स होने के चलते एलसीएच इतनी ऊंची चोटियों पर भी अपने मिशन को अंजाम दे सकता है.
500 किलोग्राम तक हथियार ले जा सकता है
LCH 2015 में सियाचिन के कई टेस्ट में 500 किलोग्राम के हथियार ले जाने में कामयाब रहा था. अपाचे की तुलना में कम वज़न के हथियारों से लैस LCH ऐसी भौगोलिक चुनौतियों और खराब मौसम वाली स्थितियों में भी दुश्मन को खत्म करने का दम रखता है. LCH दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर हैं, जो भारतीय सेना की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर विशेष रूप से बनाए गए हैं. इसलिए जब-जब दुश्मन पूरब या पश्चिम की इन आसमानी ऊचाइयों पर चढ़ कर भारत पर वार करने की सोचेगा तब-तब उसके हर इरादे को LCH खाक में मिला देंगे.
चीन और पाकिस्तान दोनों को धूल चटाएंगे LCH
इस अटैक हेलीकॉप्टर को करगिल युद्ध के बाद ही भारत ने तैयार करने का मन बनाया था. क्योंकि उस वक्त भारत के पास कोई ऐसा अटैक हेलीकॉप्टर नहीं था जो 15-16 हजार फीट की ऊंचाई पर जाकर दुश्मन के बंकर्स को तबाह कर सके. LCH में 70 एमएम के 12-12 रॉकेट के दो पॉड लगे हुए हैं. इसके अलावा एलसीएच की नोज यानि फ्रंट में एक 20 एमएम की गन लगी हुई है जो 110 डिग्री में किसी भी दिशा में घूम सकती है. इसमें मौजूद स्टेल्थ फीचर्स की वजह से ये आसानी से दुश्मन की राडार में नहीं आता. दिन हो चाहे रात ये हर वक्त हमला करने में सक्षम है.
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सियाचिन से जैसलमेर तक कर सकता है मार
भारतीय वायुसेना के चीफ ने जैसे ही LCH में उड़ान भरी. उससे पता चलता है कि वायुसेना को HAL की इस कमाल की मशीन पर पूरा भरोसा है. इससे जितनी उत्साहित वायु सेना है, उतनी ही भारतीय थल सेना भी है. LCH सियाचिन के -50 डिग्री से लेकर थार के 50 डिग्री तक के तापमान में ना सिर्फ टेक ऑफ या लैंड कर सकते हैं बल्कि दुश्मन पर अचूक हमला भी कर सकते हैं. इससे देश की तीनों सेनाओं बेहद कम समय में दुश्मन को तुरंत करारा जवाब दे पाने में सक्षम हो पाएंगी.
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