ख़बरदार! चीन का जहाज़ लंगर नहीं डालेगा, श्रीलंका समझ गया लेकिन मालदीव के मोइज्जू किस चक्कर में पड़े हैं?
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन रिसर्च के नाम पर अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है. भारत ने कई बार अपने पड़ोसियों को सुरक्षा चिंताओं से अवगत कराया है लेकिन फिलहाल मालदीव को बात समझ में नहीं आ रही है. वहां नए राष्ट्रपति मोइज्जु भारत के खिलाफ रुख अपनाए हुए हैं.
China In Indian Ocean Sri Lanka Maldives: भारत का पड़ोसी श्रीलंका अब ड्रैगन की चाल को भली-भांति समझ चुका है. शायद इसीलिए उसने चीन की 'रिसर्च वाली जहाज' पर एक साल का बैन लगा दिया है. अब रिसर्च के नाम पर चीन का कोई भी जहाज लंका के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन में नहीं घुस पाएगा. भारत इन जहाजों को लेकर श्रीलंका से अपनी चिंताएं जता रहा था. आशंका जताई जा रही थी कि इनका इस्तेमाल भारतीय सेना के टेस्ट को ट्रैक करने और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जलक्षेत्र में सर्वे के लिए किया जा सकता है. जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से आग्रह किया था कि वह भारत की रणनीतिक और सुरक्षा चिंताओं का सम्मान करें. अब श्रीलंका को पूरी बात समझ में आ गई है लेकिन हिंद महासागर में एक और पड़ोसी अभी अलग राह पर चलना चाहता है. हां, वो मालदीव है.
पहले बात श्रीलंका की
श्रीलंका का चीनी जहाज को बैन करने का फैसला भारत के लिए राहत की बात है. दरअसल, चीन हिंद महासागर में अपने पांव जमाते हुए प्रभाव बढ़ाना चाहता है. अगले कुछ दिन बाद ही 5 जनवरी को दक्षिण हिंद महासागर में चीन की रिसर्च वेसेल Xiang Yang Hong 3 समंदर की गहराई में खोज शुरू करने वाली थी, लेकिन श्रीलंका के अधिकारियों ने परमिशन देने से मना कर दिया. यह चीन के लिए बड़ा झटका है क्योंकि हंबनटोटा कर्ज प्रकरण के बाद वह श्रीलंका के मौजूदा नेतृत्व को लुभाने में कामयाब नहीं हो सका है. श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे अक्टूबर में बीजिंग भी गए थे लेकिन वह चीन के झांसे में नहीं आए. हंबनटोटा पोर्ट श्रीलंका का है लेकिन कर्ज में फंसाकर चीन ने कई दशकों के लिए उसका संचालन अपने नियंत्रण में ले लिया है.
क्या परमिशन देंगे मोइज्जू?
चीन ने बीजिंग के करीबी माने जा रहे मालदीव की मोइज्जू सरकार से भी कहा है कि वह माले तट पर उसकी 4600 टन वजनी सर्वे वेसल को लंगर डालने दे. जबकि भारत और अमेरिका ने चीनी रिसर्च जहाज को लेकर चिंताएं जताई हैं. हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी जहाज और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर को किसी भी तरह का सपोर्ट न देने को कहा गया है. इससे पहले चीन की रिसर्च शिप शी यान 6 आई थी. अक्टूबर-नवंबर के महीने में कोलंबो ने उसे अपने पोर्ट पर लंगर डालने की इजाजत दे दी थी.
भारत की आशंका इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि 2019 से चीन की कुल 48 वैज्ञानिक रिसर्च शिप हिंद महासागर में तैनात की जा चुकी हैं. चीन पर वैसे भी भरोसा कर पाना मुश्किल है.
मालदीव क्या कर रहा?
वहां बने नए राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू भारत को इग्नोर कर चीन से करीबी बढ़ाना चाहते हैं. खबर है कि वह भारत से पहले चीन जाने की तैयारी कर रहे हैं. अब तक वहां बने राष्ट्रपति सबसे पहले भारत आया करते थे. इतना ही नहीं, उन्होंने वहां तैनात भारतीय सैनिकों को भी वापस जाने को कह दिया है. हाल में उन्होंने भारत के साथ किया वो समझौता भी तोड़ दिया जिसके तहत मालदीव के जलक्षेत्र में भारतीय नौसेना को सर्वे करने की इजाजत मिली थी. मालदीव के नए राष्ट्रपति यह सब कर रहे हैं जबकि जरूरत के समय भारत ही पहले पहुंचता है. भारत ने मालदीव को नौसेना के हेलिकॉप्टर गिफ्ट में दिए हैं लेकिन मालदीव के नए राष्ट्रपति मोइज्जू एंटी-इंडिया अप्रोच अपना रहे हैं.
चीन को दिख रहा 'मोती'
वास्तव में , मालदीव के रणनीतिक महत्व को देखते हुए चीन उसे लुभाने की कोशिश करता रहा है. चीन की एनर्जी सप्लाई के लिए वह क्षेत्र महत्वपूर्ण है. भारत की पैनी नजर है और वह अलर्ट भी करता रहता है लेकिन मोइज्जू का मन डोल रहा है. उन्होंने भारतीय नौसेना से डील तोड़ दी लेकिन चीन को अपनी जहाज लगाने के लिए परमिशन दे सकते हैं. भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि रिसर्च शिप की आड़ में चीन भारत के डिफेंस बेस की जासूसी कर सकता है. भारत के आसपास समंदर में चीन की दखल बढ़ रही है. दक्षिण एशिया में चीन के लिए मालदीव 'मोतियों की माला' के तौर पर उभरा है. मोइज्जू अभी इस बात को समझ नहीं रहे, या समझना नहीं चाहते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ समय पहले तक मालदीव में भारत के सर्विलांस एयरक्राफ्ट और रेडार स्टेशनों पर करीब 70 सैनिक तैनात रहे हैं. चीन अब अपना तिकड़म भिड़ा रहा है जिससे वह भारत की पोजीशन ले ले, पता नहीं मोइज्जू किस चक्कर में पड़े हैं.