India Pakistan News: जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर हो, लश्कर का शाहिद महमूद या साजिद मीर या फिर अब्दुल रहमान मक्की... ये लंबी लिस्ट उन पाकिस्तानी दहशतगर्दों की है जिन्हें वैश्विक आतंकी घोषित करने में चीन ने कभी अड़ंगा डाला था. आज वही चीन भारत को आंख दिखा रहा है. दरअसल, पाकिस्तान में हाल के महीनों में कई आतंकियों के मर्डर हुए हैं. उसकी वजह ढूंढने की बजाए इस्लामाबाद ने इसमें भारत का हाथ होने के आरोप लगा दिए. अब उसका सदाबहार दोस्त चीन भी उसकी भाषा बोल रहा है. 


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चीन ने कहा है कि पाकिस्तान की तरफ से किए गए दावे 'हमारे ध्यान देने योग्य' हैं. हालांकि इसी चीन को पाकिस्तान में आतंकियों को संरक्षण दिए जाने का ध्यान नहीं होता है. इसे यह ध्यान नहीं होता कि दुनिया में कहीं भी आतंकी हमले होते हैं तो उसके तार इसी देश से जोड़े जाते हैं. आतंकियों को बचाने वाला चीन का यह 'त्रियाचरित्र' (चतुराई या चालाकी) ही कहा जाएगा, जो समझ से परे है. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बीजिंग आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में डबल स्टैंडर्ड के खिलाफ है. कुछ इसी तरह की बात यूएन में पाकिस्तानी आतंकियों को बैन से बचाने के लिए चीन की कोशिशों पर भारत कहता आया है. 


दोहरे रवैये की बात कर रहा चीन


चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि आतंकवाद मानवता का साझा दुश्मन है. चीन आतंकवाद के खिलाफ दोहरा रवैया अपनाने का विरोध करता है. इससे किसी को फायदा नहीं होता है और केवल खुद को नुकसान होता है.' अच्छा होता चीन को यह बात पहले समझ में आती और वह पाकिस्तान को इस बारे में कुछ भी समझा पाता. चीन ने आगे कहा कि वह आतंकवाद के सभी रूपों का संयुक्त रूप से मुकाबला करने के लिए सभी देशों के साथ सहयोग मजबूत करने के लिए तैयार है. हालांकि उससे पूछा जाना चाहिए वह किससे मुकाबला करने की बात कर रहे है, जब आतंकियों की जन्मस्थली उसका मित्र पाकिस्तान ही है. क्या यह उसका दोहरापन नहीं है?


इससे पहले पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसके पास इस बात के 'सबूत' हैं जिससे साबित हो सके कि पिछले साल दो आतंकियों की हत्या में 'भारतीय एजेंटों' का हाथ है. भारत ने पड़ोसी को करारा जवाब दिया और कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र रहा है और वह इसका फल भुगतेगा ही. 


पाक का प्रॉपगेंडा


सितंबर और अक्टूबर 2023 में शाहिद लतीफ और रियाज नाम के दो आतंकियों की हत्या में पाकिस्तानी एजेंसियां भारत पर सवाल उठा रही हैं. पाकिस्तान चीन ही नहीं, अमेरिका और कनाडा से भी भारत का हाथ होने के कथित सबूत शेयर करने की बात कह रहा है. कनाडा का नाम शायद इसलिए ले रहा हो क्योंकि यह मुल्क भी 'दूसरा पाकिस्तान' बनने की राह पर है.


हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि यह भारत के खिलाफ प्रॉपगेंडा चलाने की नई साजिश है. पाकिस्तान दशकों से आतंकवाद का गढ़ रहा है. उसे चेताया गया है कि आखिर में इस हिंसा का शिकार वह खुद होगा और अब वही हो रहा है. 


चीन का मुखौटा देख लीजिए


  • मई 2023 में अब्दुल रऊफ अजहर को यूएन में ब्लैक लिस्ट होने से बचाया. यह भारतीय संसद पर हमले और कंधार प्लेन हाईजैक में शामिल रहा है. 

  • 2022 में चीन ने हाफिज सईद के करीबी शाहिद महमूद और साजिद मीर को प्रतिबंधों की सूची में डालने का विरोध किया. मीर 26/11 हमले में शामिल था. दिसंबर में मीर को जहर दिए जाने की खबर आई थी. 

  • जून 2022 में चीन ने अब्दुल रहमान मक्की को भी बचाया था. बाद में शायद उसे थोड़ी बात समझ आई और पिछले साल उसने लश्कर के डिप्टी से अपना सपोर्ट वापस ले लिया. 

  • 2022 में ही चीन ने हाफिज तल्हा सईद को ब्लैकलिस्ट किए जाने से बचाया. यह हाफिज का बेटा है. 


यह लिस्ट तो केवल दो साल की है. बीते दो दशकों में चीन ने कई बार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरा रवैया अपनाया है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थायी सदस्यों में से एक भी अगर वीटो करता है तो फैसला नहीं लिया जा सकता है. यूएन में चीन के अलावा रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के पास वीटो पावर है. लंबी लड़ाई के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत 2019 में जैश सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने में सफल रहा था.