हैदराबाद: चीनी नागरिक (Chinese Nationals) अब भारत (India) से बालों (Hair) की तस्करी करने में लगे हैं. मानव बाल निर्यातकों और प्रोसेसर्स ने खुलासा किया है कि चीनी नागरिकों ने हैदराबाद को काला बाजारी का अड्डा बना रखा है. उनका कहना है कि चीनी आयातक म्यांमार और चीन में आयात शुल्क से बचने के लिए अंडर-इनवॉइसिंग (Under Invoicing) का सहारा ले रहे हैं. यानी कन्साइनमेंट का मूल्य या संख्या कम दर्शा रहे हैं. भारतीय निर्यातकों ने करोड़ों रुपये के इस अवैध व्यापार पर नकेल कसने के लिए राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) को भी लिखा है 


हवाला से भेज रहे बाकी का पैसा


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हैदराबाद एयर कार्गो (Hyderabad Air Cargo) से म्यांमार तक कच्चे मानव बाल (Raw Human Hair) के शिपमेंट डेटा के विश्लेषण से भारी अंडर-इनवॉइसिंग का पता चला है. साथ ही यह बात भी सामने आई है कि बाकी का पैसा गोल्ड के रूप में हवाला के माध्यम से भेजा जा रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता सीमा शुल्क विभाग द्वारा हैदराबाद और अन्य क्षेत्रों को भेजे गए एक अलर्ट नोट में कहा गया है कि कुछ निर्यातक म्यांमार, बांग्लादेश और वियतनाम भेजे जाने वाले ह्यूमन हेयर के एक्सपोर्ट कन्साइनमेंट का मूल्य कम करके दिखा रहे हैं. बता दें कि चीनी नागरिक म्यांमार के रास्ते ही बालों की खेप को चीन पहुंचा रहे हैं.


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Train Route का भी इस्तेमाल 


नोट में यह भी कहा गया है कि शिपिंग बिलों को जानबूझकर कम करके दिखाया जा रहा है. इससे फेमा नियमों और इनकम टैक्स नियमों के उल्लंघन के साथ ही 28 परसेंट इम्पोर्ट ड्यूटी का भी नुकसान हो रहा है. नोट के अनुसार, हैदराबाद और पश्चिम बंगाल में इस तरह के मामले ज्यादा देखने में आए हैं. मानव बाल आंध्र, तेलंगाना में मंदिर, चर्च से खरीदे जाते हैं और रो हेयर (गोली) घरों या सैलून से एकत्र किए जाते हैं फिर उनकी तस्करी होती है. जानकारों का कहना है कि तस्कर ट्रेन रूट भी इस्तेमाल कर रहे हैं. वो पहले सिकंदराबाद से कोलकाता या गुवाहाटी जाते हैं और वहां से सड़क के रास्ते बालों को म्यांमार भेजा जाता है.


पिछले साल Export में आई तेजी 


1 अप्रैल, 2018 से 31 मार्च, 2019 के बीच हैदराबाद एयर कार्गो के निर्यात डाटा से पता चला कि प्रति किलो बालों की औसत कीमत $2 से $62 तक थी. इस दौरान कुल कच्चे बालों का निर्यात हैदराबाद एयर कार्गो से 26 करोड़ रुपये था. अप्रैल 2017-18 से बीच एक्सपोर्ट 42 करोड़ था जबकि 2016-17 के बीच 132 करोड़. इसके बाद अप्रैल 2020 से लेकर नवंबर 2020 के बीच निर्यात में तेजी देखने को मिली. इस दौरान करीब 32 करोड़ रुपये के बाल एक्सपोर्ट किए गए. हालांकि, जानकारों का कहना है कि इनवॉइस में जो क्वांटिटी दर्शाई गई है, उससे असल आंकड़ा 25 गुना ज्यादा रहा होगा.


China ऐसे करता है इस्तेमाल


जांच से ये भी पता चला कि निर्यातक विजयवाड़ा, सिंहचलम और यादाद्रि स्थित तिरुपति और कनक दुर्गा जैसे मंदिरों और चर्च से असली बाल खरीद रहे हैं और इसे संसाधित करने के बजाय अधिक कीमत पर बेच देते हैं. जिसे तस्करी करके या कानूनी रूप से म्यांमार भेजा जाता है. जबकि गैर-धार्मिक स्थानों से एकत्र किए गए बालों की केवल तस्करी की जाती है. बता दें कि भारत से बालों को खरीद कर म्यांमार और बांग्लादेश में प्रोसेस्ड किया जाता है. यहां सस्ते लेबर की वजह से बालों की प्रोसेसिंग काफी फायदेमंद पड़ती है. इसके बाद इन्हें चीन भेजा जाता है. जहां मानव बालों से ह्यूमन विग के अलावा ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाए जाते हैं.