Chinese Research Ship: चीन का खुराफाती दिमाग लगातार पड़ोसियों को चिंता में डालता रहता है. इसी कड़ी में चीन का एक अनुसंधान पोत बुधवार को श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर पहुंचा है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. अमेरिका ने इस जहाज की यात्रा को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंता जाहिर की थी. असल में श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि शी यान 6 को ईंधन फिर से भरने के लिए (कोलंबो) बंदरगाह में प्रवेश की अनुमति दी गयी थी.


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कितने समय तक रहेगा?
सूत्रों के अनुसार भारत द्वारा उठाई गई सुरक्षा चिंताओं के कारण श्रीलंका ‘शी यान 6’ के आगमन की अनुमति देने में देरी कर रहा था. हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह जहाज कोलंबो बंदरगाह पर कितने समय तक रहेगा. श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने पिछले सप्ताह चीन की यात्रा की थी.


समुद्री अनुसंधान गतिविधियों के लिए
श्रीलंका ने अगस्त में घोषणा की थी कि चीन का अनुसंधान पोत श्रीलंका की ‘नेशनल एक्वेटिक रिसोर्स रिसर्च एंड डवलपमेंट एजेंसी’ के साथ साझेदारी में समुद्री अनुसंधान गतिविधियों के लिए अक्टूबर में यहां पहुंच सकता है. यह जहाज 1,115 डीडब्ल्यूटी की क्षमता वाला अनुसंधान या सर्वे पोत है. अमेरिका ने चीन के अनुसंधान पोत की श्रीलंका यात्रा के कार्यक्रम को लेकर पिछले महीने द्वीपीय देश से चिंता जताई थी.


भारत चिंता जताता रहा
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर श्रीलंकाई विदेश मंत्री अली साबरी से मुलाकात करने वाली अमेरिकी राजनयिक विक्टोरिया नूलैंड ने 'शी यान 6' की यात्रा के बारे में कथित तौर पर चिंता जताई थी. चीन नियमित आधार पर अपने अनुसंधान या निगरानी जहाजों को श्रीलंका भेजता रहता है. श्रीलंका में चीनी जहाजों के आने पर भारत चिंता जताता रहा है. इसी कड़ी में यह जहाज भी कोलंबो पोर्ट पर पहुंचा है. एजेंसी इनपुट