नई दिल्ली: चीन इस बात पर जोर दे सकता है कि वह अगले दलाई लामा को नियुक्त तो कर देगा मगर वह इसमें कोई आध्यात्मिक प्रक्रिया शामिल नहीं करना चाहेगा. वहीं दूसरी ओर तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को पारंपरिक रूप से वरिष्ठ मठवासी शिष्यों द्वारा चुना जाता है, जिसमें आध्यात्मिक प्रक्रिया शामिल होती है. वर्तमान दलाई लामा (84) के अनुसार, उनके उत्तराधिकारी को चुनने की प्रक्रिया वर्ष 2025 में तब शुरू होगी जब वह 90 वर्ष के हो जाएंगे. इस संबंध में वह तिब्बती बौद्ध उच्च लामाओं से परामर्श भी करेंगे. 


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अपने 2011 में दिए गए एक बयान में, 14वें दलाई लामा ने स्पष्ट रूप से कहा था, 'राजनीतिक तरीके से चुने गए उम्मीदवार को कोई मान्यता या स्वीकृति नहीं दी जानी चाहिए, जिसमें चीन गणराज्य के लोग भी शामिल हैं.'


दलाई लामा ने हालांकि अपने उत्तराधिकारी को चुनने के लिए आयोजित होने वाले समारोहों व तमाम प्रक्रिया को स्पष्ट नहीं किया है, मगर विद्वानों का कहना है कि बौद्ध मठों में प्रार्थनाओं और तांत्रिक अनुष्ठानों के साथ उनके देह धारण (पुनर्जन्म) की मांग की जाती है.


इस बार चुने जाने वाले 15वें दलाई लामा का चयन उनके 14 पूर्ववर्ती दलाई लामाओं के विपरीत होगा, क्योंकि उनका चयन उस समय होगा जब उनके पूर्ववर्ती (उनसे पहले उस पद पर रहने वाले) अभी भी जीवित होंगे.


चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) पहले ही पुनर्जन्म प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पारित कर चुकी है. इसमें कहा गया है कि बुद्धों के उच्चतम स्तर जैसे कि दलाई लामा, को बीजिंग द्वारा अनुमति दी जानी चाहिए. जबकि स्थानीय सरकार द्वारा कम वरिष्ठ बुद्धों की पुनर्जन्म प्रक्रिया को मंजूरी दी जा सकती है.


दलाई लामा ने 1995 में बौद्ध धर्म में दूसरे सबसे पवित्र भिक्षु और पंचेन लामा के पुनर्जन्म के तौर पर तिब्बत में रहने वाले छह वर्षीय गेदुन चोकेई न्यिमा को चुना था. चीन सरकार ने हालांकि अपनी पसंद का चयन किया. वहीं गेधुन चोकेई 1995 से लापता है और इसे दुनिया का सबसे कम उम्र का राजनीतिक कैदी माना जाता है.


वर्तमान दलाई लामा का जन्म ल्हामो थोंडुप के रूप में 6 जुलाई, 1935 को तिब्बत के तकसीर क्षेत्र में एक किसान एवं घोड़ा व्यापारी के एक परिवार में हुआ था. जब वह दो साल के थे, तब बौद्ध अधिकारियों का एक दल उनके गांव में पहुंचा. 


इस समय 13वें दलाई लामा की मृत्यु हो चुकी थी और 14वां दलाई लामा बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी. चार साल की उम्र में, उन्हें तिब्बत की राजधानी ल्हासा ले जाया गया.


600 से अधिक वर्षों से मौजूद दलाई लामा का वंश तिब्बती बौद्ध धर्म और संस्कृति का केंद्र है. तिब्बती बौद्धों का मानना है कि दलाई लामा उस शरीर को चुनने में सक्षम हैं, जिसमें उनका पुनर्जन्म होता है.