नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) राज्यसभा में भी पास हो गया है. राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 125 वोट और विपक्ष में 105 वोट पड़े. इससे पहले चर्चा के दौरान कुछ सांसदों ने इस बिल को सलेक्ट समिति में भेजने की मांगी की. इसके लिए भी वोटिंग कराई गई. सलेक्ट समिति में भेजने के पक्ष में 99 और भेजने के खिलाफ 124 वोट पड़े. यह प्रस्ताव टीएमएसी सांसद डेरेक ओब्रायन लेकर आए थे, जो गिर गया. शिवसेना वोटिंग प्रक्रिया में शामिल नहीं हुई. राज्यसभा में बिल में संशोधन के लिए 14 प्रस्ताव दिए गए.


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राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल 2019 पर वोटिंग में शिवसेना के सांसद शामिल नहीं हुए. इसके अलावा बहुमजन समाज पार्टी (बीएसपी) के दो सांसद भी वोटिंग में शामि नहीं हुए.



लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है CAB
नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है. लोकसभा में विधेयक के पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट पड़े थे. खास बात यह है कि इस बिल के पक्ष में बीजेपी की पुरानी सहेयागी शिवसेना ने भी सहयोग किया था. हालांकि राज्यसभा में वोटिंग के दौरान शिवसेना ने खुद को अलग कर लिया.


नागरिकता विधेयक मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं : अमित शाह
इससे पहले राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों के जवाब दिए. गृहमंत्री शाह ने कहा कि यह विधेयक मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर देश का विभाजन न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता तो आज यह बिल लेकर आने की जरूरत नहीं पड़ती. राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, 'आज जो बिल लाए हैं, उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हां हम शरणार्थी हैं, हमें नागरिकता दीजिए और सरकार नागरिकता देगी. जिन्होंने जख्म दिए वही आज पूछते हैं कि ये जख्म क्यों लगे.'


अमित शाह ने कहा, 'इस बिल की वजह से कई धर्म के प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता मिलेगी, लेकिन विपक्ष का ध्यान सिर्फ इस बात पर है कि मुसलमानों को क्यों नहीं लेकर आ रहे हैं. आपकी पंथनिरपेक्षता सिर्फ मुस्लिमों पर आधारित होगी लेकिन हमारी पंथ निरपेक्षता किसी एक धर्म पर आधारित नहीं है. इस बिल में उनके लिए व्यवस्था की गई है जो पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए जा रहे हैं, जिनके लिए वहां अपनी जान बचाना, अपनी माताओं-बहनों की इज्जत बचाना मुश्किल है. ऐसे लोगों को यहां की नागरिकता देकर हम उनकी समस्या को दूर करने के प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता हैं जबकि विपक्ष के लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता नहीं हैं.'


उन्होंने कहा, 'नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया, लेकिन वहां लोगों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया, उनकी संख्या लगातार कम होती रही और यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे. यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ.


उन्होंने कहा, 'बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं. पिछली सरकारें समाधान लाईं होती तो ये बिल न लाना होता.'


नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है. बुधवार को राज्यसभा में इस विधेयक को पेश किया गया.


इस विधेयक को लेकर देश के कुछ हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन हुए हैं. असम में विरोध प्रदर्शन में आगजनी और तोड़-फोड़ की गई, जिसके बाद वहां 24 घंटे के लिए 10 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं.


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