CJI Chandrachud : `जनता की अदालत` का मतलब ये नहीं कि हम विपक्ष की भूमिका निभाएं... बोले CJI
CJI News : चीफ जस्टिस ने कहा, `आज की तारीख में लोगों के बीच इस बात को लेकर गहरे मतभेद है कि सुप्रीम कोर्ट कैसे काम कर रहा है.जब सुप्रीम कोर्ट किसी के पक्ष में फैसला देता है तो हरेक को लगता है कि सुप्रीम कोर्ट शानदार काम कर रहा है, जब उन्ही लोगों के खिलाफ फैसला आ जाता है तो लोग कोर्ट की आलोचना करते है`.
CJI DY Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) न्यायपालिका में लगातार सुधार और नवाचार के लिए कदम उठाते रहते हैं. सीजेआई चंद्रचूड ने कहा है कि जनता की अदालत के रूप में सुप्रीम कोर्ट (SC) के रोल को भविष्य के लिये कायम रखा जाना चाहिए लेकिन जनता की अदालत होने का मतलब ये नहीं है कि हम संसद में विपक्ष का रोल निभाना है.
फैसला मन मुताबिक हो तो SC अच्छा, वर्ना बुरा
चीफ जस्टिस ने कहा कि आज की तारीख में लोगों के बीच इस बात को लेकर गहरे मतभेद है कि सुप्रीम कोर्ट कैसे काम कर रहा है.जब सुप्रीम कोर्ट किसी के पक्ष में फैसला देता है तो हरेक को लगता है कि सुप्रीम कोर्ट शानदार काम कर रहा है, जब उन्ही लोगों के खिलाफ फैसला आ जाता है तो लोग कोर्ट की आलोचना करते है. फैसले की आलोचना क़ानूनी पहलुओ पर हो तो उससे कोई एतराज़ नहीं है, लेकिन आलोचना इस आधार पर नहीं होनी चाहिए कि कोई फैसला उनके पक्ष में नहीं आया है. जजों का अधिकार है कि वो स्वतंत्र होकर केस में उपलब्ध तथ्यो के आधारपर फैसला दे.
सिर्फ बड़े लोगों के लिए नहीं काम करता कोर्ट
चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर यह आरोप लगाता रहा है कि यह सिर्फ बड़े लोगों के लिए या साधन सम्पन्न लोगों के केस सुनता है. इस तरह का आरोप लगाना बहुत आसान रहा है क्योंकि ज्यादातर लोग के पास ( न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा न होने के चलते) इस आरोप को क्रॉस चेक करने का कोई साधन नहीं होता है. लेकिन सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग के ज़रिए लोगो को पता लग रहा है कि लोगों की आम दिक्कतें फिर चाहे वो बेल अर्जी हो, या फिर पेंशन, सर्विस से जुड़ी परेशानी हो,कोर्ट उन्हें भी गम्भीरता से सुनता है.
SC के काम सिर्फ सवैंधानिक विवादों का हल नहीं
चीफ जस्टिस ने कहा कि कई बार सवाल इस बात को लेकर भी उठता है कि सुप्रीम कोर्ट बेहद छोटे मामलों को भी देखता है लेकिन हमें समझना चाहिए कि US, UK ऑस्ट्रेलिया के कोर्ट के बजाए भारत के सुप्रीम कोर्ट को गरीब जनता की समस्याओं के समाधान के लिए बनाया गया था. आज बदलते वक़्त में आर्थिक उन्नति के साथ हम कहीं ज़्यादा सम्पन्न समाज में है लेकिन अभी भी समाज के कई तबके पिछड़े है. ऐसी सूरत में सुप्रीम कोर्ट का रोल महज सवैंधानिक विवादों का निपटारा करने का नहीं है,बल्कि समाज में बदलाव का भी है. समाज में बदलाव सिर्फ बड़े विषयों से नहीं आता, बल्कि उन छोटे छोटे केस से भी आता है, जिन्हें हम रोज़ाना निपटाते है, जब हम अपने फैसलों के ज़रिए देश, हाई कोर्ट, निचली अदालतों को गाइड करते है.