बंद हो मदरसों की फंडिग, बोर्ड भी हों भंग, NCPCR की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
Madrasa News: एनसीपीसीआर निदेशक प्रियांक कानूनगो ने इसी के साथ मदरसा बोर्ड को भंगद करने की मांग की है. आयोग ने इस मुद्दे पर 9 साल तक अध्ययन करने के बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की है.
NCPCR on Madrasa: देशभर में हजारों अवैध मदरसों के खिलाफ जारी कार्रवाई के बीच राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग यानी एनसीपीसीआर (NCPCR) ने केंद्र और राज्य सरकारों से मदरसों की फंडिंग बंद करने की डिमांड की है. NCPCR ने इस बावत सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर विस्तार से अपनी बात समझाने की कोशिश की है. एंजेसी ने अपनी इस मांग के लिए बाकायदा सभी राज्यों को पत्र लिखकर अपनी बात रखी है.
'बेहतर शिक्षा के लिए स्कूल में दाखिल कराया जाय'
अपने पत्र में NCPCR ने ये भी कहा है कि मदरसों से निकलकर मुस्लिम बच्चों को बेहतर तालीम के लिए सरकारी या निजी स्कूल में दाखिल कराया जाय. NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने यह पत्र लिखा है. जिसकी कॉपी वायरल हो रही है. कानूनगो ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह पत्र लिखा है. उन्होंने सभी सक्षम अधिकारियों से मदरसों को मिलने वाली फंडिंग रोकने को कहा है.
मदरसा बोर्ड को भी बंद करने की सिफारिश
एनसीपीसीआर निदेशक प्रियांक कानूनगो ने इसी के साथ मदरसा बोर्ड को भंगद करने की मांग की है. आयोग ने इस मुद्दे पर 9 साल तक अध्ययन करने के बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की है. उस रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे रिसर्च के बाद ये पता चला है कि करीब सवा करोड़ से ज्यादा बच्चे अपने बुनियादी शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं. उन्हें इस तरह से टॉर्चर किया जा रहा है कि वे कुछ लोगों के गलत इरादों के मुताबिक़ काम करेंगे.
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जिन लोगों ने इन मदरसों पर कब्जा कर लिया है, वे कहते थे कि वे भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान पूरे भारत में इस्लाम का प्रचार करना चाहते थे. 7-8 राज्यों में मदरसा बोर्ड हैं. मदरसा बोर्डों को बंद करने की सिफारिश की है क्योंकि उनके जरिए चंदा इकट्ठा किया जा रहा है. इस फंडिंग को रोका जाना चाहिए और मदरसा बोर्ड को भंग किया जाना चाहिए. और इन मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू बच्चों को फौरन स्कूलों में एनरोल किया जाना चाहिए.
सपा नेता अखिलेश यादव ने एनसीपीसीआर के मदरसा बोर्ड बयान पर रिएक्शन देते हुए कहा, 'ये देश सबका है, संविधान सबके लिए हैं. ये बीजेपी के लोग धर्म जाति, कपड़ों के आधार पर बांटना चाहती है.'