राम मोहन शर्मा, बरेली: कर्नाटक (Karnataka) में हुए हिजाब विवाद (Hijab Controversy) की चर्चा जोरों पर हैं. इस बीच उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने ज़ी न्यूज़ को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में हिजाब विवाद पर कहा कि देश शरिया से नहीं संविधान से चलेगा.


हिजाब विवाद पर क्या बोले सीएम योगी?


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उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश की व्यवस्था संविधान से चलेगी शरियत से नहीं. हर संस्था को अपना ड्रेस कोड तैयार करने का अधिकार है. संविधान के अनुरूप ही व्यवस्था चलेगी.


गर्मी शांत करने वाले बयान पर सीएम योगी ने क्या कहा?


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले फेज के बाद विपक्ष का चेहरा मुरझा गया है. गर्मी शांत करने वाले अपने बयान पर सीएम योगी ने कहा कि जो लोग कैराना के पलायन के लिए, दंगों के लिए जिम्मेदार थे चुनाव की घोषणा के बाद बिलों से बाहर निकल आए थे. ये उनके लिए था. अपराध और अपराधियों के लिए सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ काम करेगी.


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क्या है हिजाब विवाद?


बता दें कि हिजाब विवाद कर्नाटक के उडुपी (Udupi) से शुरू हुआ. यहां स्टूडेंट्स ने हिजाब पहने हुई छात्राओं की क्लास में एंट्री को लेकर विरोध किया था. हिजाब के विरोध में कुछ स्टूडेंट भगवा गमछा पहनकर कॉलेज आने लगे. फिर ऐसा ही उडुपी के कई स्कूल-कॉलेजों में हुआ. वहीं मुस्लिम छात्राएं हिजाब को अपने धर्म का हिस्सा बता रही हैं और कह रही हैं कि संविधान अपना धर्म पालन करने की इजाजत देता है.


हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हम राज्य सरकार और सभी हितधारकों से अनुरोध करते हैं कि वे शिक्षण संस्थानों को खोलें और स्टूडेंट्स को क्लास में जल्द लौटने की अनुमति दें. इसी के साथ ही हम अगले आदेश तक सभी स्टूडेंट्स के भगवा शॉल, गमछा, हिजाब, धार्मिक झंडा या इस तरह का सामान क्लास में लेकर आने पर रोक लगाते हैं. हाई कोर्ट कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल उन्हीं संस्थानों तक सीमित है, जहां कॉलेज विकास समितियों ने छात्र ड्रेस कोड/वर्दी निर्धारित की है.


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कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने इस बात पर दुख जताया कि हिजाब (Hijab) पर अनावश्यक आंदोलन की वजह से राज्य के स्कूल-कॉलेज पिछले कई दिनों से बंद हैं. जब कोर्ट इस मामले पर विचार कर रहा है और संवैधानिक महत्व के इस सवाल पर सुनवाई हो रही है तो इन प्रदर्शनों के जारी रहने का कोई तुक नहीं रहता.


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