देहरादून: उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी (AAP) के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार और रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल (Ajay Kothiyal) को महिला एवं बाल विकास विभाग के चंपावत जिले में सिक्योरटी गार्ड के पद पर नौकरी मिली है. इसके साथ ही विभाग के स्तर से अधिकृत आउटसोर्स एजेंसी में बड़ी धांधली का खुलासा हुआ है. अजय कोठियाल मंगलवार को सचिवालय पहुंचे और सचिवालय में तैनात सभी कर्मचारियों को नौकरी लगने को लेकर मिठाई खिलवाई.


घूस लेकर दी जा रही लोगों की नौकरी


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उत्तराखंड में महिला विकास एवं बाल कल्याण विभाग में संविदा कर्मचारियों की नौकरी को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे और आरोप लग रहे थे कि लोगों को घूस लेकर नौकरी दी जा रही है. विभाग ने ए स्क्वायर नामक (A SQUAR) नाम की संस्था को संविदाकर्मियों की नियुक्ति के लिए रखा है, लेकिन संस्था पर लगातार धांधली के आरोप लग रहे थे और पैसा नहीं देने वालों को नौकरी नहीं दी जा रही थी.


रिटायर्ड कर्नल को दी गई सुरक्षा गार्ड की नौकरी


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अजय कोठियाल (Ajay Kothiyal) ने बाल विकास विभाग में सुरक्षा गार्ड पद के लिए छह अगस्त को ए स्क्वायर नामक आउटसोर्स एजेंसी को अपना आवेदन जमा करवाया था. अपने आवेदन के साथ उन्होंने शैक्षिक योग्यता के प्रमाण के तौर पर 12वीं की मार्कशीट के साथ ही शस्त्र लाइसेंस की कॉपी भी लगाई थी. आवेदन पत्र पर सेना की वर्दी वाली फोटो लगी थी, लेकिन इसके बावजूद पैसे के लिए उन्हें सुरक्षा गार्ड की नौकरी दे दी गई.


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25 हजार रुपये लेकर दी गई नौकरी


महिला विकास एवं बाल कल्याण विभाग में धांधली का मामला जब आप के सीएम उम्मीदवार अजय कोठियाल (Ajay Kothiyal) के पास पहुंची तो उन्होंने संस्था के अधिकारियों से बात की और नौकरी के लिए आवेदन किया. संस्था के कर्मचारियों ने घूस के नाम पर स्वर्गीय श्रीमती निर्मला सिंगज सेवा समिति के नाम पर 25 हजार रुपये की घूस मांगी और कहा कि आप समीति में पैसा जमा करो आपको नौकरी मिलेगी. इसके बाद उन्होंने पैसे जमा करा दिए और कुछ दिनों में चंपावत में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिल गई और उनका वेतन 8475 रुपये तय किया गया है.


प्रशासन ने बिठाई जांच


मामला सामने आने के बाद बाल विकास विभाग की मंत्री रेखा आर्य (Rekha Arya) और सचिव एचसी सेमवाल ने जांच के आदेश दिए हैं. इस मामले में निदेशालय से दस दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की गई है. पिछले साल इसी एजेंसी के चयन को लेकर विभागीय मंत्री रेखा आर्य और तत्कालीन विभागीय सचिव वी षणमुगम में मतभेद भी सामने आए थे.


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