Governor vs Government: राजधानी दिल्ली में सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव के बाद अब पंजाब में भी यही स्थिति बन रही है. पंजाब में राज्यपाल और भगवंत मान सरकार के बीच संघर्ष कम होने का नाम नहीं ले रहा है. राज्यपाल ने सरकार को याद दिलाया कि उन्होंने संविधान की रक्षा के लिए शपथ ली थी और नियमों का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा.


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ये है टकराव का कारण


राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार को याद दिलाया कि पिछले एक साल में उन्होंने किसी भी व्यक्ति के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा. बल्कि वो मुख्यमंत्री की तारीफ करते रहे हैं. टकराव का सबसे नवीनतम कारण लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) के कुलपति के पद से सतबीर सिंह गोसल को हटाने का निर्देश है.


पहले भी हुआ विवाद


दोनों के बीच इससे पहले भी विवाद हुआ था जो कार्डियोलॉजिस्ट गुरप्रीत वांडर की बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के कुलपति के रूप में नियुक्ति को लेकर था. राज्यपाल ने कहा कि सरकार ने केवल एक नाम की सिफारिश कर नियमों का उल्लंघन किया है. वांडर ने बाद में कुलपति के रूप में अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली. 


सरकार पर लगाया दखलअंदाजी का आरोप


पीएयू के कुलपति के रूप में गोसल की नियुक्ति को वापस लेने के फैसले को सही ठहराते हुए, पुरोहित ने शुक्रवार को राजभवन में एक औपचारिक बातचीत में मीडिया से कहा कि विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में वह अपना कर्तव्य निभा रहे हैं. उन्होंने कहा, 'बल्कि सरकार उनके कामकाज में दखल दे रही है. मुख्यमंत्री को इसका एहसास होना चाहिए. मैंने मुख्यमंत्री को पद की शपथ दिलाई. उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए. एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने एक पत्र में राज्यपाल पर सरकार के कामकाज में लगातार हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था.


SAD ने सरकार पर लगाए आरोप


शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने कहा कि सरकार ने राज्यपाल के साथ धोखाधड़ी की है. अंग्रेजी में एक पत्र भेजा, लेकिन सोशल मीडिया पर इसके जाली और मनगढ़ंत संस्करण को पंजाबी में जारी किया. अकाली दल के पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि, मुख्यमंत्री भगवंत मान के हस्ताक्षर के साथ उनके नाम पर धोखाधड़ी की गई है. उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि क्या वह इस अधिनियम के पक्षकार थे और क्या उनकी सहमति थी. यदि नहीं, तो मुख्यमंत्री को मामले में प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करनी चाहिए.


राजभवन ने दिया जवाब


मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल को पंजाबी में लिखा गया पत्र पीएयू के कुलपति की नियुक्ति को सही ठहराता है. मीडिया में चल रहे हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि गोसल की नियुक्ति पंजाब और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम 1970 के अनुसार की गई थी. मान के हवाले से पत्र में कहा गया है, पिछले कुछ महीनों से आप सरकार के कामकाज में लगातार दखल दे रहे हैं, जिसे भारी जनादेश के साथ चुना गया था. पंजाब के लोग इससे बहुत परेशान हैं. वहीं, राजभवन ने जवाब दिया कि, मीडिया में एक पत्र प्रचलन में है. यह पत्र पंजाब राजभवन में आज तक प्राप्त नहीं हुआ है. 


(इनपुट- आईएएनएस)


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