Himachal Pradesh New Order: हिमाचल प्रदेश में फूड आउटलेट्स पर मालिकों का नाम और पता लिखने के विवादित आदेश के बाद मंत्री विक्रमादित्य सिंह को दिल्ली तलब किया गया है. विक्रमादित्य सिंह के विभाग ने ही यह आदेश जारी किया है, जिसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने उनको फटकार लगाई है. दरअसल इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर और पार्टी के भीतर कांग्रेस की आलोचना हो रही है क्योंकि कुछ हफ्ते पहले कांवड़ यात्रा के दौरान योगी सरकार के इसी तरह के आदेश की उसने आलोचना की थी. 


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सूत्रों के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी और शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह को इस मामले पर विवादित बयान नहीं देने को कहा गया है. बताया जा रहा है कि पार्टी सुप्रीमो मल्लिकार्जुन खड़गे विक्रमादित्य के इस कदम से काफी नाराज हैं. 


टीएस सिंहदेव ने भी की आलोचना


हिमाचल शहरी विकास मंत्रालय के इस आदेश की आलोचना कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने भी की. उन्होंने इसे एक निंदनीय और भेदभावपूर्ण कदम बताया. 


छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मुझे समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों किया गया क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने भी ऐसा ही फैसला कांवड़ यात्रा के दौरान लिया था. किसी शख्स की दुकान पर नाम लिखवाने की क्या जरूरत है. मुझे इसके पीछे का लॉजिक समझ नहीं आता. आप किसी व्यक्ति को नहीं बेच रहे हो आप ब्रांड बेच रहे हो. इसलिए किसी शख्स का नाम बताने की कोई जरूरत नहीं है.'


दुकानों पर नाम और पता लिखने के आदेश की AIDUF विधायक रफीकुल इस्लाम ने भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि कांग्रेस भी अब बीजेपी की राह पर चल पड़ी है. AIDUF नेता ने कांग्रेस पर यूपी मॉडल अपनाने का आरोप लगाया, जिसमें सीएम योगी ने दुकान के मालिकों और मैनेजर्स का नाम लिखने का आदेश दिया है. 


'बीजेपी-कांग्रेस में नहीं रहा कोई फर्क'


इस्लाम ने कहा, 'BJP और कांग्रेस में फर्क ही क्या है? बीजेपी हमेशा नफरत फैलाती है. कांग्रेस भी उसी लाइन पर चल रही है और हिंदू-मुसलमानों के बीच में लड़ाई करवा रही है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश मॉडल अपना रही है.'


कांग्रेस को सोशल मीडिया पर भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जहां यूजर्स ने पार्टी को पाखंडी बताया है.


कांग्रेस के लिए मुश्किलें इसलिए भी खड़ी हो गई हैं क्योंकि उसने जुलाई में कांवड़ यात्रा के दौरान योगी सरकार के इसी तरह के आदेश की आलोचना की थी. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस कदम को राज्य प्रायोजित कट्टरता करार दिया था.