नए कृषि कानूनों के खिलाफ जंग तेज करेगी कांग्रेस, किसानों से बात करेंगे राहुल
नए कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई और तेज करने की खातिर रणनीति बनाने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मंगलवार सुबह 10 बजे किसानों से बातचीत करेंगे. यह बातचीत वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी.
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई और तेज करने की खातिर रणनीति बनाने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मंगलवार सुबह 10 बजे किसानों से बातचीत करेंगे. यह बातचीत वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से भी कांग्रेस शासित राज्यों को कहा गया है कि वो इस बिल का विरोध करें.
राहुल ने साधा निशाना
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी नए कानूनों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि किसानों की आवाज दबाई जा रही है. भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया है. यह कानून हमारे किसानों के लिए मौत का फरमान है.
सीएम अमरिंदर सिंह पंजाब के किसानों से मिलेंगे
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मंगलवार सुबह 11 बजे किसानों से मुलाकात करेंगे. अमरिंदर पहले ही कह चुके है कि केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार अदालत जाएगी. किसानों के समर्थन में अमरिंदर सोमवार को धरने पर भी बैठे थे.
कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन
नए कानूनों का कई राज्यों में विरोध में हो रहा है. एक दिन पहले ही विपक्षी दलों और किसानों ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब,गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में उग्र विरोध-प्रदर्शन किया है. वहीं, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने धरना दिया.
क्यों हो रहा विरोध
संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने कृषि सुधारों से संबंधित तीन विधेयक पारित कराए हैं. इनमें किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने का अधिकार दिया गया है. विधेयकों में ठेका खेती तथा अनाज भंडारण की सीमा पर लगी रोक हटाने का भी प्रावधान है. एक दिन पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन गए हैं. विपक्ष का आरोप है कि सरकार नए कानून के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की व्यवस्था खत्म कर रही है. वहीं सरकार का तर्क है कि नए कानून किसानों को बिचौलियों के जंजाल से मुक्ति दिलाएंगे.
इन विधेयकों का विरोध करते हुए केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से नाता तोड़ लिया था.
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