इधर मैथिली भाषा में जारी हुआ संविधान.. उधर लालू परिवार ने `मिथिला` पर लगा दिया दांव
Constitution in Maithili: राबड़ी देवी ने अचानक कहा कि जब केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार है, तो मैथिली भाषियों को अब अलग मिथिला राज्य की मांग पूरी करा लेनी चाहिए. पहले तो उनके इस बयान को सदस्यों ने व्यंग्य माना, लेकिन जब उन्होंने विधानसभा के बाहर भी इसे दोहराया.
Separate Mithila State: बिहार यूं ही नहीं गजब है.. देश की राजनीति को बिहार की राजनीति से अलग कर ही नहीं सकते हैं. हुआ यह कि भारत के संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर एक विशेष सिक्का और डाक टिकट जारी किया गया. इस दौरान संविधान की प्रतियां संस्कृत और मैथिली भाषाओं में भी प्रस्तुत की गईं. कार्यक्रम के दौरान दो महत्वपूर्ण किताबों 'भारतीय संविधान का निर्माणः एक झलक' और 'भारतीय संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा' का विमोचन हुआ. दिल्ली में जहां मैथिली में संविधान की किताब पेश की गई, वहीं पटना में इस पर राजनीति की हलचल शुरू हो गई.
मिथिला राज्य की मांग को फिर से उठा दिया..
दरअसल, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने इस मौके पर अलग मिथिला राज्य की मांग को फिर से उठा दिया. यह मुद्दा तब गरमाया जब भाजपा के एमएलसी हरी सहनी ने बिहार विधान परिषद में कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मिथिला क्षेत्र को बड़ी सौगात दी है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि तभी मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया था. अब मैथिली में संविधान की प्रस्तुति को उन्होंने मिथिला के सम्मान के रूप में देखा.
राबड़ी देवी ने अचानक कहा कि ..
इसी दौरान राबड़ी देवी ने अचानक कहा कि जब केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार है, तो मैथिली भाषियों को अब अलग मिथिला राज्य की मांग पूरी करा लेनी चाहिए. पहले तो उनके इस बयान को सदस्यों ने व्यंग्य माना, लेकिन जब उन्होंने विधानसभा के बाहर भी इसे दोहराया, तो इस पर गहराई से चर्चा शुरू हो गई. उनके बयान ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी.
मिथिला राज्य का आंदोलन..
अलग मिथिला राज्य की मांग नई नहीं है, यह देश की आजादी से पहले की है. जब 1912 में बिहार बंगाल से अलग हुआ था, तभी से मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग उठी. आजादी के बाद भी यह मांग समय-समय पर जोर पकड़ती रही. खासकर जब बिहार से झारखंड अलग हुआ, तो मिथिला राज्य का आंदोलन और तेज हो गया. तब से लेकर अब तक पटना से लेकर दिल्ली तक कई बार इस मुद्दे पर प्रदर्शन होते रहे हैं.