Indian Railway: यात्री जीता... रेलवे हारा, 8 साल पहले चोरी हुए बैग का RAILWAY को अब देना होगा मोटा हर्जाना
Indian Railway News: दिल्ली के एक कंज्यूमर कोर्ट ने भारतीय रेलवे को सेवाओं में लापरवाही बरतने का दोषी पाया. इस मामले में रेलवे के संबंधित महाप्रबंधक को एक यात्री को हर्जाना देने का आदेश भी दिया.
Indian Railway News: भारत में ट्रेन से रोजाना लाखों लोग यात्रा करते हैं. आए दिन यात्रियों के कीमती सामान की चोरी की खबरें भी सामने आती रहती हैं. ज्यादातर मामलों में यात्री रिपोर्ट तो दर्ज कराते हैं लेकिन आगे की कार्रवाई से पीछा छुड़ा लेते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी यात्री होते हैं जो अपने हक की लड़ाई जारी रखते हैं. एक ऐसे ही यात्री का मामला इन दिनों सुर्खियों में है. जिसने रेलवे को हराकर अपने हक की लड़ाई जीत ली है.
कंज्यूमर कोर्ट ने रेलवे को दोषी ठहराया
दिल्ली के एक कंज्यूमर कोर्ट ने भारतीय रेलवे को सेवाओं में लापरवाही बरतने का दोषी पाया. इस मामले में रेलवे के संबंधित महाप्रबंधक को एक यात्री को हर्जाना देने का आदेश भी दिया. रेलवे को अब पीड़ित यात्री को 1.08 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. यात्री का 8 साल पहले ट्रेन में यात्रा के दौरान बैग चोरी हो गया था. कोर्ट ने यात्री की शिकायत पर सुनवाई की. बता दें कि यात्री का 80,000 रुपये मूल्य का कीमती सामान वाला बैग जनवरी 2016 में झांसी और ग्वालियर के बीच कुछ बिना टिकट वाले यात्रियों द्वारा चुरा लिया गया था. यह घटना मालवा एक्सप्रेस के आरक्षित डिब्बे में यात्रा के दौरान हुई थी.
यात्रियों के सामान की सुरक्षा करना रेलवे का कर्तव्य..
शिकायत में कहा गया, ‘सुरक्षित और आरामदायक यात्रा के साथ-साथ यात्रियों के सामान की सुरक्षा करना रेलवे का कर्तव्य था.’ आयोग ने तीन जून को पारित आदेश में कहा कि चूंकि शिकायतकर्ता नयी दिल्ली से ट्रेन में सवार हुआ था, इसलिए मामले की सुनवाई करना उसके अधिकार क्षेत्र में आता है. आयोग के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल ने मामले की सुनवाई की.
तो ऐसी घटना नहीं होती..
आयोग ने कहा, ‘यदि प्रतिवादी या उसके कर्मियों की ओर से सेवाओं में कोई लापरवाही या कमी नहीं होती, तो ऐसी घटना नहीं होती. यात्रा के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा ले जाए जा रहे सामान के मूल्य को नकारने के लिए कोई अन्य बचाव या सबूत नहीं है, इसलिए शिकायतकर्ता को 80,000 रुपये के नुकसान की प्रतिपूर्ति का हकदार माना जाता है.’
देनी होगी मुकदमे की लागत भी
अदालत ने उन्हें असुविधा, उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा के लिए 20,000 रुपये का हर्जाना देने के अलावा मुकदमे की लागत के लिए 8,000 रुपये देने का भी आदेश दिया.
(एजेंसी इनपुट के साथ)