ओमिक्रॉन और डेल्टा वेरिएंट का घातक गठबंधन? कितनी लंबी है कोरोना की तीसरी लहर की उम्र
नया साल आते-आते एक बार फिर कोरोना (Corona Omicron) के मामले दुनिया में बढ़ने लगे हैं. ऐसे में आपको सतर्क रहते हुए अगले साल भी इस बीमारी का मुकाबला करना है.
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ओमिक्रॉन से सतर्क रहना है, घबराना नहीं
भारत में कोरोना (Corona Omicron) की तीसरी लहर को लेकर ये अनुमान सही भी हो सकते हैं, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में ऐसा ही हुआ था. दुनिया में Omicron का पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में 24 नवम्बर को मिला था. इसके बाद वहां 12 दिसम्बर से हर दिन 30 हज़ार से ज़्यादा लोग वायरस से संक्रमित होने लगे. अब वहां सिर्फ़ लगभग 4 हज़ार मामले ही मिल रहे हैं. इससे ये पता चलता है कि Omicron की लहर ख़तरनाक है लेकिन ये लम्बे समय तक नहीं रहेगी.
दूसरी बात, अब तक जिन भी देशों में Omicron के मामले मिले हैं, वहां संक्रमण ज़रूर फैला है, लेकिन ये वायरस मरीज़ों के लिए घातक साबित नहीं हुआ. अकेले दक्षिण अफ्रीका में ही एक हज़ार मरीज़ों में से केवल 58 मरीज़ों को ही अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.
शुरुआत में जब कोरोना (Corona Omicron) आया था, उस समय 30 प्रतिशत मामलों में मरीजों को अस्पताल के ICU में भर्ती होना पड़ता था. लेकिन Omicron में ये आंकड़ा 30 प्रतिशत से घटकर 13 प्रतिशत हो गया है. इसे आप कुछ और उदाहरणों से भी समझ सकते हैं.
अमेरिका में 15 दिनों में 4 गुना बढ़े मामले
अमेरिका में 14 दिसम्बर को एक लाख 16 हज़ार नए केस मिले थे. लेकिन 29 दिसम्बर को वहां नए मामलों की संख्या बढ़कर 4 लाख 88 हज़ार हो गई. यहां नोट करने वाली बात ये है कि जिस तरह कोरोना के मामले वहां पिछले 15 दिनों में चार गुना बढ़े, उस हिसाब से मौतें घटी हैं. पहले हर 300 लोगों में वहां लगभग चार लोगों की मौत हो रही थी और अब हर 300 लोगों में केवल एक व्यक्ति की मौत हो रही है.
इससे ये पता चला है कि Omicron कोरोना का सबसे तेज़ी से फैलने वाला Variant तो है लेकिन ये ज़्यादा घातक नहीं है. इसे आप ब्रिटेन की स्थिति से भी समझ सकते हैं. वहां पिछले 15 दिनों में कोरोना के प्रति दिन मामले चार गुना तक बढ़ गए हैं लेकिन मरने वालों की संख्या लगभग आधी हो गईं. यानी जब 60 हज़ार केस आ रहे थे, तब 150 लोगों की हर दिन मौत हो रही थी और अब जब 2 लाख से ज़्यादा केस आ रहे हैं तो हर दिन मौत का आंकड़ा 68 ही है. इससे ये बात तो स्पष्ट है कि इस नई लहर में केस तो सुनामी की तरह आएंगे, लेकिन इस सुनामी की लहरें ज़्यादा ख़तरनाक नहीं होंगी.
कई गुना तेजी से बढ़ता है ओमिक्रॉन वेरिएंट
Omicron वेरिएंट की दो बातें सबसे ज्यादा चिंताजनक हैं. एक तो ये कि ये वेरिएंट कई गुना रफ़्तार से फैलता है और जब मामले अचानक बढ़ते हैं तो लोगों में अफरा तफरी और डर की स्थिति बन जाती है, जिससे सरकारें आर्थिक पाबंदियां लागू करने के लिए दबाव में आ जाती हैं. दूसरी बात, ये वैक्सीन के कवच को भी भेद सकता है.
जिसकी वजह से कई देशों में वैक्सीन की दो डोज़ और तीन Booster Dose लगाने के बाद अब एक और Booster Dose लगाने का काम शुरू हो गया है. इन देशों में इज़रायल है, जर्मनी है और ब्रिटेन में भी चौथी Booster Dose लगाने पर विचार हो रहा है.
इसलिए आपको ये बात ध्यान रखनी है कि अगर हर दिन लाखों मामले आने लगे तो पैनिक बढ़ेगा और पैनिक के साथ अस्पतालों और डॉक्टरों पर दबाव भी बढ़ जाएगा. इसलिए आपको मास्क लगा कर रखना है. ये याद रखना है कि अगर आप किसी पार्टी में गए तो कोरोना आपको वहीं मिलेगा. अगर आप संक्रमित हो गए तो फिर आपकी मुश्किलें कम तो बिल्कुल नहीं होंगी. यानी आपकी सुरक्षा, आपके हाथ में है.
भारत के लिए बढ़ गई चुनौती
हालांकि इस संकट में भारत जैसे देश के लिए चुनौती ज्यादा है. यहां जनसंख्या ज्यादा है और संसाधन कम हैं. दिल्ली मेट्रो और सरकारी बसों को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ चलाया जा रहा है. हालांकि इसकी वजह से लोग मारपीट कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें दफ्तर और काम पर जाने के लिए बसों और मेट्रो में जगह ही नहीं मिल पा रही.
दुनिया के बहुत सारे देशों ने ये मान लिया है कि जितना ज़रूरी लोगों की जान बचाना है, उतनी ही ज़रूरी अर्थव्यवस्था को भी पाबंदियों से बचा कर रखना है. हालांकि वो पिछले दो साल में कोविड (Corona Omicron) से लड़ने के लिए लॉकडाउन के अलावा कोई दूसरा उपाय सोच ही नहीं पाए. सोचिए, इन दो वर्षों में वैक्सीन आ गई. Booster Dose आ गई. कई दवाइयां विकसित हो गईं, लेकिन कोविड के ख़िलाफ़ लड़ाई के हथियार नहीं बदले.
अब भी जब अचानक से कोरोना के बढ़ने लगते हैं तो लॉकडाउन और दूसरी आर्थिक पाबंदियां ही आख़िरी विकल्प के तौर दिखाई देती हैं. इससे पता चलता है कि पिछले दो वर्षों में दुनिया कोविड के ख़िलाफ़ Response के नए तरीक़ों को विकसित नहीं कर पाई. जो कि एक बड़ी नाकामी है.
विदेशों में क्वारंटीन की अवधि हो रही कम
हालांकि कुछ देशों ने इसकी शुरुआत ज़रूर की है. जब कोरोना आया था, तब Quarantine 14 दिनों का था. बाद में ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों ने इसे 10 दिन का कर दिया. अमेरिका ने तो इसे घटा कर केवल पांच दिन कर दिया है. इसके अलावा ब्रिटेन, इटली और फ्रांस में Quarantine की अवधि पहले ही 7 दिन हो चुकी है और अब ये कभी भी अमेरिका की तरह 5 दिन हो सकती है.
यहां आपको ये बात समझनी है कि अब कोविड को दो साल हो गए हैं और अब ज्यादातर देश ये मान कर अपनी अर्थव्यवस्था को बचा रहे हैं कि लोग इस बीमारी को जान चुके हैं और ज़िम्मेदार बन गए हैं. इसलिए आपको इस बात का ध्यान रखना है कि अब सरकारें ये काम आपके लिए नहीं करेंगी.
दो साल पहले जब कोविड (Corona Omicron) आया था, तब ना तो इसकी कोई दवाई थी, ना इस बीमारी के बारे में किसी देश को ज्यादा पता था. वैक्सीन के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी कि ये कब तक बन जाएगी. हालांकि जब लॉकडाउन लगाया गया तो ये कहा गया कि जैसे ही वैक्सीन आ जाएगी, सबकुछ पहले की तरह सामान्य हो जाएगा. लेकिन इसके बाद जब एक साल के अन्दर ही वैक्सीन आ गई तो ये कहा गया कि जब तक सभी लोग वैक्सीन नहीं लगवाएंगे, तब तक ये महामारी नहीं जाएगी.
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मास्क से दोस्ती बनाए रखें
दूसरी लहर में जब मृत्युकाल चल रहा था, तब ऐसे लोगों ने भी वैक्सीन लगवा ली. अब जब करोड़ों लोग ये सोच रहे थे कि वो Fully Vaccinated हैं तो कोरोना का Omicron वेरिएंट आ गया जो वैक्सीन के कवच को भी तोड़ सकता है. Booster डोज़ भी इस पर प्रभावी नहीं है. यानी कुल मिला कर देखें तो ये एक ऐसी लड़ाई है, जिसका अंत दूर दूर तक नज़र नहीं आता. इसलिए आपको थकना नहीं है. आपको सावधान रहना है, मास्क लगा कर रहना है और भीड़ भाड़ से खुद को बचा कर रखना है.
दूसरी बात, भले कुछ देशों ने कोविड के ख़िलाफ़ Response का तरीका बदला है. वो Quarantine की अवधि भी घटा रहे हैं. अब भी अचानक मामले बढ़ने पर लॉकडाउन और दूसरी आर्थिक पाबंदियां ही आख़िरी विकल्प के तौर दिखती हैं. इससे पता चलता है कि पिछले दो वर्षों में दुनिया कोविड के ख़िलाफ़ Response के नए तरीक़ों को विकसित नहीं कर पाई. जो कि एक बड़ी नाकामी है.
पॉजिटिव रहें, अच्छा वक्त भी आएगा
सबसे अहम बात, पिछले दो साल आपकी जीवन में Emergency Phase की तरह रहे हैं. इस दौरान परिस्थितियों ने आपको मायूस किया है. आज आप भविष्य को लेकर कोई योजना नहीं बना सकते, क्य़ोंकि क्या पता कब कौन से महीने में कोरोना की लहर आए जाए. इसलिए हम आपसे यही कहेंगे कि आपको हार नहीं माननी है. थकना नहीं है. बल्कि वैक्सीन लगवा कर सावधानी बरतनी है और जीवन को इस हिसाब से जीना है, जैसे ये महामारी अब इसका हमेशा से हिस्सा रहेगी. ऐसा करके आप खुद को इससे लड़ने के लिए तैयार रख पाएंगे.
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