Covid Outbreak: भारत में कोरोना वायरस के एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है और मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 24 घंटे में देशभर में कोविड-19 (Covid-19) के 1573 नए मामले सामने आए थे, जबकि 4 लोगों को मौत हुई थी. कोरोना के नए मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Ministry of Health) ने सोमवार को कोविड-19 प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ बैठक की. पिछले दो हफ्तों में यह तीसरी बार था, जब शीर्ष अधिकारियों ने राज्यों को संक्रमण में वृद्धि को लेकर चेतावनी दी. तो क्या देश में कोरोना की नई लहर आ गई? और अगर नई लहर आ गई है तो स्थिति कितनी भयावह है? आज हम आपको आंकड़ों के जरिए इसे विस्तार से समझा रहे हैं, जिसे देखकर डरने की जरूरत नहीं है. हालांकि, कोरोना को लेकर सावधान रहने की जरूरत है.


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कोरोना के नए केस बढ़ रहे हैं, लेकिन...


देश में कोरोना वायरस (Coronavirus in India) के नए मामले बढ़ रहे हैं और 27 मार्च को खत्म हुए सप्ताह में प्रतिदिन औसतन 1471 नए संक्रमण के मामले सामने आए. जबकि, ठीक एक हफ्ते पहले यह संख्या 808 थी. इसका मतलब है कि कोविड-19 के डेली केस में 82% की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, यह बहुत ज्यादा लगता है और डराने के लिए काफी है, लेकिन अगर आंकड़ों को देखें तो भारत की जनसंख्या को देखते हुए यह काफी कम है.


स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अभी पूरे भारत में कोविड-19 के 10981 एक्टिव केस हैं और प्रति 10 लाख भारतीयों पर वर्तमान में केवल आठ लोग संक्रमित है. जबकि, देश में दूसरी लहर के दौरान मई 2021 में जब कोरोना पीक पर था, तब 37.5 लाख एक्टिव केस थे और प्रति 10 लाख लोगों पर संक्रमितों की संख्या 2800 थी.


इसके साथ ही कोविड-19 के साप्ताहिक मामलों में 82 प्रतिशत की बढ़ोतरी काफी खतरनाक दिखाई देती है, लेकिन अभी भी कोरोना वायरस के रोजाना करीब 1500 नए मामले ही सामने आ रहे हैं. इस साल फरवरी के पहले सप्ताह में रोजाना औसतन 100 केस सामने आ रहे थे जिसमें तेजी आई है, लेकिन साल 2022 में यह आंकड़ा करीब 20 हजार पहुंच गया था और तब भी उसे कोविड-19 की लहर नहीं माना गया था.


पॉजिटिविटी रेट में आया है उछाल, लेकिन...


कोरोना वायरस (Coronavirus) का बढ़ता पॉजिटिविटी रेट चिंता का विषय बना हुआ है, लेकिन आज की परीक्षण रणनीति महामारी की शुरुआत में जो थी उससे बहुत अलग है. कोविड-19 की शुरुआत में लोगों को प्रोत्साहित किया गया कि संक्रमितों के सभी संपर्कों का परीक्षण किए जाए, भले ही उनमें लक्षण दिखाई दिए हों या नहीं. जिसका मतलब है कि सकारात्मकता दर में बढ़ोतरी बड़े पैमाने पर कोविड के स्पाइक का कारण नहीं बन सकता है.


कोरोना को कब लहर माना जाना चाहिए


हालांकि, इस बीच सवाल उठता है कि कोरोना के बढ़ते मामलों को कब एक लहर माना जाना चाहिए. इसका जवाब है अस्पताल में मरीजों के भर्ती होने की दर. वर्तमान में कोरोना के मामले बढ़े हैं, लेकिन संक्रमित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या काफी कम है. आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में वर्तमान में कोई भी कोविड मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं है, जबकि उत्तर प्रदेश में 10, हिमाचल में 13, गोवा में 19 और दिल्ली में 42 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं. जबकि, इन राज्यों में 1865 एक्टिव केस हैं और वर्तमान में केवल 4.3% कोविड रोगियों को अस्पताल में देखभाल की आवश्यकता है.


कोविड-19 से होने वाली मौत की संख्या भी कम


अस्पताल में भर्ती होने की दर कम होने के साथ ही कोविड-19 से होने वाली मौतों की संख्या भी काफी कम है. देश में औसत दैनिक मौतों में मामूली वृद्धि देखी गई है और पिछले सप्ताह यह 3.7 था, जबकि इससे पहले सप्ताह में 3.3 था. हालांकि, देश की जनसंख्या के हिसाब से यह काफी कम है.


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