नई दिल्ली: देशभर में अभी तक कोरोना वायरस (Coronavirus) के 38 करोड़ से भी ज्यादा सैंपल का टेस्ट हो चुका है, लेकिन इनमें से केवल 28 हजार की जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) अब तक हो पाई है. इस स्टडी में सामने आया है कि कोरोना वायरस के 120 से ज्यादा म्यूटेशन (Mutation) अब तक भारत में मिल चुके हैं, इनमें से 8 सबसे ज्यादा खतरनाक हैं. हालांकि वैज्ञानिक अभी 14 म्यूटेशन की जांच में जुटे हुए हैं.


देशभर की 28 लैब में हो रही सीक्वेंसिंग


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बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जिन खतरनाक वैरिएंट के नाम बताए हैं वे एल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा प्लस, कापा, ईटा और लोटा हैं. ये सभी वैरिएंट देश में मिल चुके हैं. इन वैरिएंट में किसी के केस ज्यादा हैं तो किसी के कम हैं. देशभर की 28 लैब में इनकी सीक्वेंसिंग चल रही है. वैरिएंट की प्रारंभिक रिपोर्ट के रिजल्ट काफी चौंकाने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक, भारत में डेल्टा के साथ कापा वैरिएंट भी है. पिछले 60 दिन में 76 प्रतिशत सैंपल में इनकी पुष्टि हो चुकी है.


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क्यों जरूरी है जीनोम सीक्वेंसिंग?


जान लें कि जीनोम सीक्वेंसिंग की मदद से ही वैज्ञानिक कोरोना वायरस में होने वाले बदलावों को समझ पाते हैं. हर राज्य से 5 प्रतिशत सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग होनी जरूरी है, लेकिन अभी ये सिर्फ 3 फीसदी भी नहीं हो पा रही है.


एंटीबॉडी पर हमला करते हैं म्यूटेशन


गौरतलब है कि देश में अब तक 28 हजार 43 सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की जा चुकी है, जिनमें डेल्टा प्लस और कापा के गंभीर म्यूटेशन पाए गए हैं. वैज्ञानिकों ने डेल्टा प्लस, बीटा, और गामा म्यूटेशन को सबसे खतरनाक बताया है. ये म्यूटेशन तेजी से फैलते हैं और लोगों में एंटीबॉडी (Antibody) पर हमला करते हैं. कोरोना वायरस के म्यूटेशन पर वैज्ञानिकों की स्टडी जारी है.


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आपको बता दें कि बीते 60 दिन में 76 फीसदी सैंपल में डेल्टा वैरिएंट पाया गया है. वहीं आठ प्रतिशत सैंपल में कापा वैरिएंट मिला है. कोरोना बार-बार तेजी से अपना रूप बदल रहा है. इसके अलावा 5 प्रतिशत सैंपल में एल्फा वैरिएंट भी पाया गया है.


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