नई दिल्ली: भारत में मिड अगस्त तक खतरनाक कोरोना वायरस की तीसरी लहर (Coronavirus Tird Wave) आने की संभावना है, जबकि मामले सितंबर में पीक पर पहुंच सकते हैं. ये आशंका सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में जाहिर की गई है. हालांकि भारत देश में दूसरी लहर अभी खत्म भी नहीं हुई है. एसबीआई रिसर्च द्वारा पब्लिश 'कोविड -19: द रेस टू फिनिशिंग लाइन' टाइटल वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि वैक्सीनेशन ही एकमात्र बचाव है क्योंकि वैश्विक डेटा से पता चलता है कि तीसरी लहर के मामले दूसरी लहर के समय पीक मामलों के लगभग 1.7 गुना हैं.


अगस्त में बढ़ सकते हैं मामले


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रिपोर्ट के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने कहा, 'भारत ने 7 मई को अपना दूसरा वेव पीक हासिल कर लिया है और मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, देश जुलाई के दूसरे सप्ताह में लगभग 10,000 मामलों का अनुभव कर सकता है.' उन्होंने कहा 'हालांकि, ऐतिहासिक रुझानों के आधार पर, कम से कम एक महीने बाद चरम मामलों के साथ 21 अगस्त के तक मामले बढ़ना शुरू हो सकते हैं.'


डेल्ट प्लस बढ़ा रहा चिंता


वर्तमान मामले अब पिछले सप्ताह से 45,000 के आसपास मंडरा रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि विनाशकारी दूसरी लहर अभी तक देश में खत्म नहीं हुई है. घोष ने कहा, 'पहली लहर में भी, मामलों में धीरे-धीरे गिरावट आई, दैनिक मामलों में किसी भी सार्थक गिरावट से पहले 21 दिनों के लिए लगभग 45,000 मामले सामने आए.' इसके अलावा, 12 राज्यों से अब तक डेल्टा प्लस वेरिएंट (Corona Delta Plus Variant) के 51 मामलों का पता चला है. शीर्ष 15 जिलों में नए मामले, जो ज्यादातर शहरी हैं, जून में केस फिर से बढ़े लेकिन अच्छी बात यह है कि तीन महीने से इनकी मृत्यु दर स्थिर है.


यह भी पढ़ें: CBSE 10वीं-12वीं के साल में दो बार होंगे एग्जाम, शैक्षणिक सत्र को दो भागों में बांटा


वैक्सीनेशन ही बचाव


दूसरी ओर, नए मामलों में ग्रामीण जिलों की हिस्सेदारी जुलाई 2020 से सार्थक रूप से घटने से इनकार कर रही है, जब यह 45 प्रतिशत से अधिक हो गई थी और तब से इसमें उतार-चढ़ाव आया है. घोष ने कहा, 'टीकाकरण ही एकमात्र जवाब लगता है.' इस बीच भारत ने प्रतिदिन 40 लाख से ज्यादा कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) खुराक देना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, केरल और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने 60 साल से ऊपर की आबादी के बड़े प्रतिशत को पहले ही दोनों टीके दिए हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में कुल टीकाकरण कम है.


LIVE TV