नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) वैश्विक महामारी ने दुनियाभर में कोहराम मचा रखा है. हर दिन लाखों की संख्या में कोरोना वायरस संक्रमितों के नए मामले सामने आ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ वायरस की रोकथाम के लिए यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका में लोगों को कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) देना शुरू हो चुका है. लेकिन इस बीच इस्लामिक वर्ल्ड में इस बात पर बहस छिड़ गई है कि कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) हलाल है हराम?


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दरअसल बीते अक्टूबर महीने में इंडोनेशिया के राजदूतों और मुस्लिम धर्मगुरुओं का एक ग्रुप चीन गया था. इंडोनेशिया और चीन के बीच लोगों तक वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) पहुंचाने के लिए डील होनी थी, लेकिन मुस्लिम मौलवियों को ये चिंता सता रही थी कि इस्लाम (Islam) कोरोना वैक्सीन लेने की इजाजत देता है या नहीं.


गौरतलब है कि दुनियाभर की कंपनियां कोरोना वायरस (Coronavirus) बनाने की होड़ में जुटी हैं, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जल्द वैक्सीन पहुंचाई जा सके. इस बीच इस्लामिक संगठनों ने कोरोना वैक्सीन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. कुछ मुस्लिम संगठनों के मुताबिक, वैक्सीन (Vaccine) के रखरखाव के लिए सुअर के मांस (Pork) से बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, इस वजह से उनकी चिंता बढ़ी हुई है.


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कोरोना वैक्सीन के रखरखाव में जिलेटिन का इस्तेमाल


रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन के स्टोरेज और एक से दूसरी जगह ले जाने के लिए सुअर के मांस से बने जिलेटिन का इस्तेमाल होता है. ऐसा वैक्सीन की सुरक्षा करने के लिए किया जाता है. वहीं कुछ वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने वैक्सीन के रखरखाव में सुअर के मांस से बने जिलेटिन का उपयोग करने से मना कर दिया है.


इन कंपनियों ने सुअर के मांस पर दी सफाई


कोरोना वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर, एस्ट्राजेनेका और मॉडर्ना की तरफ साफ किया गया है कि वो वैक्सीन के स्टोरेज में सुअर के मांस से बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. ऐसे में मुस्लिमों को वैक्सीन लेने में परेशानी नहीं होनी चाहिए.


कोरोना वैक्सीन के लिए हलाल सर्टिफिकेशन


इस बीच कुछ मुस्लिम संगठनों ने सुअर के मांस से बने प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं. मुस्लिम धर्मगुरुओं की चिंता है कि अगर वैक्सीन के रखरखाव में सुअर के मांस के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल हो रहा है तो कोरोना का वैक्सीन इस्लाम के मुताबिक जायज है या नहीं.


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गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन के हलाल या हराम होने को लेकर इंडोनेशिया (Indonesia) के मुस्लिमों की चिंता काफी बढ़ी हुई दिख रही है. खबर है कि कोरोना वैक्सीन के हलाल सर्टिफिकेशन के बाद ही इंडोनेशिया में टीकाकरण की इजाजत दी जाएगी.


कोरोना वैक्सीन धार्मिक रूप से अपवित्र


कोरोना वैक्सीन के हलाल या हराम होने पर ब्रिटिश इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन के चीफ सेक्रटरी सलमान वकार ने कहा कि मुसलमानों और यहूदियों समेत कई धर्मों के लोग वैक्सीन को लेकर कंफ्यूजन में हैं. इन धर्मों में सुअर के मांस को अपवित्र माना जाता है लेकिन वैक्सीन के रखरखाव में सुअर के मांस से बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है.


वहीं ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर डॉ. हरनूर राशिद ने कहा कि जिलेटिन के इस्तेमाल पर अभी तक हुई चर्चा में यह आम सहमति बनी है कि वैक्सीन इस्लाम में जायज है.


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