कट्टरपंथी इस्लामी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम (Hifazat e Islam) ने कहा है कि इस्लाम मूर्ति लगाने की इजाजत नहीं देता है, इसलिए पीएम शेख हसीना (Bangladesh PM Sheikh Hasina) शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति (Sheikh Mujiburrahman's Statue) लगाने की योजना को रोक दें.
बता दें कि बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति (Sheikh Mujiburrahman's Statue) लगाने को लेकर विवाद शुरू हो गया है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने पिता की मूर्ति देश की राजधानी ढाका में लगाना चाहती हैं लेकिन कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.(फाइल फोटो/साभार: रॉयटर्स)
बांग्लादेश के बिजॉय दिवस के अवसर पर 16 दिसंबर को देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने कहा कि सभी धर्मों के लोगों ने बांग्लादेश बनाने में बलिदान दिया, इसलिए किसी के साथ भी भेदभाव नहीं होना चाहिए. दरअसल पीएम हसीना ने ये बात कहकर बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा की बात की. इस वजह से वो अक्सर इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर रहती हैं.(फाइल फोटो/साभार: रॉयटर्स)
हिफाजत-ए-इस्लाम के नेता ममुनुल हक का कहना है कि इस्लाम मूर्ति लगाने की इजाजत नहीं देता है, इसलिए पीएम हसीना शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति लगाने की योजना को रोक दें. शेख मुजीबुर्रहमान एक मुसलमान थे. ऐसे में उनकी मूर्ति लगाना उनका अपमान होगा.(फाइल फोटो/साभार: रॉयटर्स)
वहीं कट्टर इस्लामी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम के अध्यक्ष जुनैद अहमद बाबूनगरी ने बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को तोड़ने की धमकी दी है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में कोई भी पार्टी मूर्ति खड़ी करेगी तो उसे हम तोड़ देंगे क्योंकि ये इस्लाम के खिलाफ है.(फाइल फोटो/साभार: रॉयटर्स)
इसके बाद बांग्लादेश के हिंदुओं में डर पैदा होना स्वाभाविक है क्योंकि हिंदू मूर्ति पूजा करते हैं. इस्लामी कट्टरपंथी संगठन के नेताओं के भड़काऊ बयान के बाद पूरे बांग्लादेश में भारी विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए. इन प्रदर्शनों का नेतृत्व पीएम शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने किया. फिर आम लोग भी सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थन में सड़कों पर निकल आए.(फाइल फोटो/साभार: रॉयटर्स)
गौरतलब है कि पीएम शेख हसीना और उनकी पार्टी बांग्लादेश में सेकुलिरज्म को बनाए रखने का सपोर्ट करती है. उनकी पार्टी हिंदू देशवासियों की सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी दोहराती रहती है. इस वजह से पीएम हसीना और उनकी पार्टी बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के निशाने पर रहती है.(फाइल फोटो/साभार: रॉयटर्स)
पीएम शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने कहा कि बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति का विरोध करने वाले लोग देशद्रोही हैं. धार्मिक कट्टरता की बांग्लादेश में कोई जगह नहीं है. हिफाजत-ए-इस्लाम से डरने की जरूरत नहीं है. उनके नेताओं के बयानों से देश के सेकुलरिज्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. प्रदर्शनकारियों ने कट्टरपंथी इस्लामी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम पर बैन लगाने की मांग भी की.(फाइल फोटो/साभार: रॉयटर्स)
हिफाजत-ए-इस्लाम जमात-ए-इस्लामी के बाद बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा इस्लामी संगठन है. हिफाजत-ए-इस्लाम की स्थापना 2013 में हुई थी. ये इस्लामी संगठन बांग्लादेश में सैकड़ों मदरसों को चलाता है और हजारों मुस्लिम बच्चे यहां पढ़ते हैं. हिफाजत-ए-इस्लाम को बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का समर्थन भी प्राप्त है.(फाइल फोटो/साभार: रॉयटर्स)
जान लें कि 5 मई, 2013 को एक बार इस्लामी कट्टरपंथी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने बांग्लादेश के मोतीझील जिले को करीब 12 घंटे के लिए अपने कंट्रोल में ले लिया था. दरअसल हिफाजत-ए-इस्लाम की मांग थी कि एक ब्लॉगर को फांसी दी जाए जो कि ईशनिंदा का आरोपी था. बाद में जब पुलिस इलाके को खाली करवाने पहुंची तो वहां जमकर हिंसा हुई. यहां हिंसा में हिफाजत-ए-इस्लाम के 39 कार्यकर्ता मारे गए थे. पुलिस को देर रात तक स्थिति पर काबू पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.(फाइल फोटो/साभार: रॉयटर्स)
बता दें कि साल 2017 में हिफाजत-ए-इस्लाम एक मूर्ति हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था. जिसके बाद बांग्लादेश सरकार ने उनकी ये मांग मान ली थी. लेकिन इस बार प्रधानमंत्री शेख हसीना झुकने वाली नहीं हैं. ऐसा बांग्लादेश के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है.(फाइल फोटो/साभार: रॉयटर्स)
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