जनवरी 2022 में लॉकडाउन के दौरान एक व्यक्ति को मास्क नहीं पहनने के आरोप में पुलिस की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था और फिर ये मामले कोर्ट पहुंच गया था. अब इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकारी आदेश का पालन न करने के आरोपी व्यक्ति को आरोप मुक्त कर दिया है. अदालत ने आरोपी को वाजिब संदेह का लाभ देते हुए कहा कि मास्क पहनने के आदेश की जानकारी आरोपी तक पहुंच ही गई होगी, ये जरूरी नहीं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल, कोर्ट कादिर खान नाम के शख्स के खिलाफ दर्ज एक केस में सुनवाई कर रही थी. इस व्यक्ति पर दिल्ली में कोरोना के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं पहनने का आरोप लगाया गया था.


अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी कादिर खान को 7 जनवरी, 2022 को दिल्ली के छतरपुर मेट्रो स्टेशन के सामने बिना मास्क पहने घूमते पाया गया था.


मामले को साबित करने में रहे विफल


मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट टी प्रियदर्शिनी ने एक हालिया आदेश में कहा, 'कोर्ट के विचार में अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ मामले को साबित करने के लिए सबूत पेश करने में विफल रहा है. इसलिए आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत इस दंडनीय अपराध से बरी किया जाता है.'


कोर्ट ने कहा कि शिकायत करने वाले दिल्ली पुलिस के एएसआई त्रिभुवन ने ऐसा कोई अखबार रिकॉर्ड के रूप में पेश नहीं किया जिसमें वह आदेश या अधिसूचना प्रकाशित हो, जिसमें ये कहा गया था कि मास्क पहनना अनिवार्य है और नहीं पहनने पर चालान कटेगा. साथ ही उन्होंने न ही आरोपी की तस्वीर ली थी. अदालत ने कहा कि मामले में कोई गवाह भी नहीं है.


इस प्रकार एएसआई त्रिभुवन के पास यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि मास्क को लेकर सरकारी आदेश कभी किसी अखबार में छपा था या लोगों के लिए उसे प्रचारित किया गया था. ऐसे में आरोपी को इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता.


कोर्ट ने कहा कि इसलिए आरोप को कायम नहीं रखा जा सकता. इतना कहकर कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. दिल्ली पुलिस के एएसआई त्रिभुवन की शिकायत पर दिल्ली के घिटोरनी मेट्रो पुलिस स्टेशन में खान के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.


पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi, अब किसी और की जरूरत नहीं