नई दिल्ली: देश में कोरोना की दूसरी लहर का असर अब कम हो रहा है लेकिन वायरस के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस ने एक्सपर्ट और आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है. इसके साथ ही देश में जल्द ही कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका भी जताई जा रही है जिसे लेकर अब नई जानकारी सामने आई है.


डेल्टा प्लस वैरिएंट का कितना असर?


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हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि कोरोना के नए डेल्टा प्लस वैरिएंट को तीसरी लहर के साथ पूरी तरह जोड़ना सही नहीं है.  फिर भी तीसरी लहर से नए वैरिएंट के संबंध को पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नए वैरिएंट के अब तक सिर्फ 51 मामले आए हैं और ऐसे में तीसरी लहर इसी वैरिएंट पर निर्भर करेगी, ऐसा कहना अभी जल्दबाजी होगी.


डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि अकेले सिर्फ डेल्टा प्लस वैरिएंट से ज्यादा असर पड़ना वाला नहीं है, इसके अलावा भी तीन अलग फैक्टर होंगे जो कि तीसरी लहर को प्रभावित करेंगे. उन्होंने कहा कि पहला कारक रहेगा कि देश में कितने लोग दूसरी लहर की चपेट में आए हैं. ऐसे में पहले से संक्रमित हो चुके लोगों को हल्की परेशानी हो सकती है लेकिन उनमें गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिलेंगे.


वैक्सीनेशन सबसे ज्यादा जरूरी


इसके अलावा डॉक्टर अरोड़ा का कहना है कि वैक्सीनेशन का असर भी तीसरी लहर पर देखने को मिलेगा. अगर बड़ी तादाद में लोगों की टीका लग जाता है और उनमें इम्युनिटी तैयार हो जाती है, भले ही वह टीके की एक डोज ही क्यों न हो. ऐसे में तीसरी लहर का असर काफी हद तक कम हो सकता है. 


तीसरा, जो फैक्टर है वह आम लोगों के रहन-सहन पर निर्भर करेगा. डॉक्टर ने बताया कि मास्क के इस्तेमाल और सोशल डिस्टेसिंग के पालन से हम तीसरी लहर के प्रकोप से बच सकते हैं. 


दिसंबर तक टल सकती है लहर


डॉक्टर अरोड़ा का कहना है कि अगर इन सभी फैक्टर पर नजर डालें तो उम्मीद है कि तीसरी लहर को टाला जा सकता है. ऐसे में दिसंबर तक उसने आने की आशंका है. उस स्थिति में हमारे पास वैक्सीनेशन के लिए ज्यादा समय होगा. उन्होंने बताया कि सरकार ने रोजाना एक करोड़ डोज देने का लक्ष्य रखा है और हम तेजी से लोगों का वैक्सीनेशन कर रहे हैं. 


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बता दें कि इससे पहले अक्टूबर तक देश में तीसरी लहर आने की आशंका जताई गई थी. इसके साथ ही लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह भी दी गई है. माना ये भी जा रहा है कि तीसरी लहर का असर बच्चों पर पड़ेगा, हालांकि इसे लेकर अभी तक एक्सपर्ट में आम राय नहीं बन पाई है.