दाऊद की D-कंपनी फिर एक्टिव, डिकोड हुआ पाकिस्तान में बैठे डॉन का ये `खूंखार कोड`
Dawood Ibrahim: पाकिस्तान में बैठे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की भारत के खिलाफ बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है. NIA ने फिर से एक्टिव हुई डी-कंपनी का कोड डिकोड कर लिया है.
Dawood Ibrahim D-Company: दुनिया के मोस्ट वांटेड अपराधियों में से एक भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम कास्कर को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने बड़ा खुलासा किया है. टेरर फंडिंग के एक मामले की जांच के दौरान एनआईए के सामने चौंकाने वाला सच सामने आया. एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किये गए लोगों में छोटा शकील के साले सलीम कुरैशी उर्फ़ सलीम फ्रूट समेत आरिफ शेख और शब्बीर शेख शामिल हैं. इस मामले में दाऊद और छोटा शकील वांटेड हैं. एनआईए चार्जशीट के मुताबिक, दाऊद, छोटा शकील और उनकी डी कंपनी भारत में अपने गुर्गों तक हवाला के जरिये पैसे पहुंचाने के लिए एक खास कोड वर्ड का इस्तेमाल कर रहे थे. ये कोड वर्ड था - 'गंदे मैसेज'.
कई शहरों में पहुंची हवाला की रकम
दाऊद और शकील अपने ये गंदे मैसेज (हवाला की रकम) दुबई में बैठे अपने साथी राशिद मर्फानी उर्फ राशिद भाई को भेजते थे. फिर राशिद इस गंदे मैसेज को सूरत समेत देश के अलग-अलग हवाला कारोबारियों को भेजता और ये हवाला कारोबारी मुंबई जैसे दूसरे शहरों तक हवाला की रकम पहुंचाते. डी-कंपनी, हवाला कारोबारी और ये गुर्गे आपसी बातचीत या चैट में भी हवाला शब्द से खुद को बचाने के लिए और जांच एजेंसियों को चकमा देने के लिए भी इसी कोड वर्ड का इस्तेमाल करते. मसलन भाई ने 25 गंदे मेसेज भेजे हैं का मतलब होगा कि दाऊद या शकील ने 25 लाख रुपये हवाला से भेजे हैं.
एनआईए ने किया टेरर फंडिंग का खुलासा
एनआईए की टेरर फंडिंग की ये बड़ी जांच सूरत के एक हवाला कारोबारी तक जा पहुंची जिसे इस मामले में अहम गवाह बनाया गया. एनआईए को अब तक मिली जानकारी के मुताबिक दाऊद और उसके साथियों ने अकेले इस हवाला कारोबारी के जरिये पिछले चार सालों में 12 से 13 करोड़ रुपये भिजवाए. जबकि अकेले साल 2022 में अब तक छोटा शकील तकरीबन 25 लाख रुपये हवाला के जरिये इन आरोपियों तक पहुंचा चुका था. एनआईए की जांच में हवाला चैनल के रूट का भी खुलासा हुआ. दाऊद का पैसा पाकिस्तान के कराची से दुबई, फिर दुबई से सूरत और सूरत से फिर मुंबई पहुंच रहा था. तो दूसरी तरफ दाऊद के गुर्गे भी मुंबई जैसे बड़े शहरों से एक्सटॉरशन की रकम इसी रास्ते दाऊद तक पहुंचा रहे थे. ये आंकड़े सिर्फ सूरत के एक हवाला कारोबारी और गिरफ्तार किये गए तीन आरोपियों से संबंधित माने जा रहे हैं. एनआईए को शक है कि डी कंपनी ऐसे कई और हवाला कारोबारियों और देश भर में फैले अपने कई गुर्गों को भेजे जाने वाली रकम इससे कई गुना और ज्यादा हो सकती है.
आरोपियों के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच
इतना ही नहीं आरोपियों के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच ने भी दाऊद की एक और चाल की भी पोल खोल दी. ये दाऊद के सबसे नए मोडस ऑपरेंडी का खुलासा है. एनआईए ने खुलासा किया कि जांच एजेंसी को चकमा देने के लिए ये आरोपी एक खास तरह से एक-दूसरे से संपर्क करते थे, अंत में यह मैसेज दाऊद तक पहुंचता था. सबसे पहले आरिफ शेख अपने मोबाइल में अपने मैसेज को अपनी आवाज में ऑडियो रिकॉर्ड करता और फिर उसे शब्बीर को व्हाट्सएप पर भेजता. उसके बाद शब्बीर इस ऑडियो मैसेज को कई अलग मोबाइल नंबरों पर भेजकर सुरक्षा परत तैयार करता और कई नम्बरों से गुजरता हुआ ये मैसेज आखिर में इनके आका दाऊद इब्राहिम कासकर तक पहुंच रहा था.
NIA ने किया पांच एक्सटॉर्शन केस का जिक्र
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में ऐसे पांच एक्सटॉर्शन केस का जिक्र किया है जिनमें से एक मामले में आरिफ और शब्बीर ने पिछले एक दशक में एक कारोबारी से तकरीबन 16 करोड़ की फिरौती शकील तक पहुंचाई. ऐसे एक और मामले में इन दोनों ने एक दंपति को उनके दो मकान सलीम फ्रूट के रिश्तेदार को जबरन बेचने का दबाव बनाकर 2.7 करोड़ रुपये की उगाही की. इसके आलावा सलीम फ्रूट ने SBUT प्रोजेक्ट में भी एक अधिकारी को धमकाकर खुद के लिए 70 लाख रुपये अदा की जानेवाली रकम माफ करवाई. एनआईए ने शब्बीर के घर की छापेमारी में असली जैसी दिखने वाली ब्लेंक पिस्तौल भी बरामद की जिसका इस्तेमाल ये अपने टारगेट को धमकाकर उनसे फिरौती लेने के लिए करते थे.
साजिश के पीछे दाऊद इब्राहिम
टेरर फंडिंग के ताजा मामले में शब्बीर ने आरिफ के कहने पर इसी साल अप्रैल महीने में मुंबई के मलाड इलाके से 25 लाख रुपये हवाला के जरिये कलेक्ट किये. जिसमें से 5 लाख रुपये खुद के पास रखकर 20 लाख रुपये आरिफ शेख तक पहुंचाए. एनआईए ने मई महीने में शब्बीर के घर की छापेमारी में ये 5 लाख रुपये बरामद किये थे. एनआईए का दावा है कि इस रकम से ये आरोपी डी-कंपनी के इशारे पर मुंबई को दहला देने वाली वाली किसी बड़ी साजिश में इस्तेमाल करने की फिराक में थे.
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