डियर जिंदगी : रिश्तों में निवेश का स्कोर क्या है...
यह शादियों का मौसम है. दोस्तों, भूले-बिसरे रिश्तेदारों से मिलने का अवसर. साथ ही टैक्स प्लानिंग का सीजन भी है. अप्रैल से ही हमारे पास टैक्स कंसल्टेंट के फोन आने शुरू हो जाते हैं. हर बरस मार्च तक टैक्स फाइल क्लोज करनी होती है. नहीं तो आपकी जमा पूंजी टैक्स की चपेट में आ सकती है. हम जितनी गंभीरता से टैक्स कंसल्टेंट की कॉल को लेते हैं, काश! उतनी ही सजगता हम मित्रों और परिजनों को लेकर बरतते तो बात ही अलग होती. हम बार-बार कंसल्टेंट से चेक करते हैं कि कैसे भी टैक्स कम से कम हो लेकिन उन रिश्तों का क्या, जिनके बीज बचपन में या कॉलेज, करियर के दौरान पड़े, लेकिन अब करियर, नौकरी, बिजनेस की दौड़ में पीछे छूट गए हैं. उनके हिसाब-किताब की डायरी 'डिलीट' सी हो गई है. इसलिए अब रिश्तों को सहेजने का सारा भार वेडिंग सीजन पर पड़ रहा है. रिश्तों का विज्ञान राकेट साइंस जितना ही जटिल है, इसलिए उसे केवल वेडिंग सीजन के भरोसे न रहने दें.
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याद रखिए, जिस किसी भी चीज में आपका निवेश नहीं होगा, वह धीरे-धीरे आपसे दूर होती जाएगी. उसकी ग्रोथ बंद हो जाएगी. रिश्तों में निवेश को हम आज की चर्चा में एक-दूसरे का ध्यान रखना, नियमित संवाद और रिश्तों की एक्सक्लूसिवनेस का पर्यायवाची मान सकते हैं.
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इन दिनों परिवार छोटी-छोटी इकाइयों में बंटकर देश-दुनिया में फैले हुए हैं. यानी ज्यादातर परिवारों के प्राथमिक सदस्य पति-पत्नी और बच्चे हैं. माता-पिता के साथ रहने का औसत सिमट रहा है. भाइयों-बहनों में आपसी संवाद के स्नेह की नदी उथली होती जा रही है. क्योंकि हर फैमिली यूनिट अपने रोजमर्रा के कैलेंडर/ प्लान को पूरा करने में ही जुटी हुई है. ऐसे में संयुक्त परिवार की सिस्टर कंसर्न यानी छोटी-छोटी यूनिटें एक होते हुए भी एक-दूसरे से दूर हैं. मैनेजमेंट की पाठशाला का जरूरी पाठ है कि जो नजरों से दूर रहता है, उसे 'नजर' से उतरने में अधिक वक्त नहीं लगता.'
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हमें रिश्तों की याद अक्सर जरूरत के वक्त आती है और जाहिर है, ऐसे में आपको मदद की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि आपने उन रिश्तों को अनजाने में स्पैम में डाल दिया था.
हम सब वह सारे काम हर दिन करते हैं, जिनसे करियर चल रहा है, लेकिन कुछ ऐसे छोटे-छोटे कदमों के लिए भी हमें हर दिन वक्त देना होगा, जो जिंदगी की आधारशिला हैं जिनसे जीवन का गार्डन हरा-भरा रहता है. कितने भी बिजी रहें, अपनी 'नजर' से दूर रहने वालों से किसी भी एक माध्यम से संपर्क में जरूर रहें.
अपने एक दोस्त की खबर दूसरे दोस्त से लेने की जगह उनसे सीधे लें, क्योंकि हर कोई 'एक्सक्लूसिव' संवाद और रिश्ता चाहता है.. जैसे आप दूसरों से चाहते हैं. समस्या बस इतनी सी है कि हम दूसरे से तो बहुत कुछ चाहते हैं, लेकिन खुद के लिए एक्सक्यूज का पहाड़ खड़ा कर लेते हैं, उसके ऊपर बैठकर दुनिया से रिश्तेदारी निभाना चाहते हैं. आप जैसी दुनिया खुद के लिए चाहते हैं, वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ, उन अपनों के साथ करना होगा, जो हमारे साथ नहीं रहते. अगर आप अपनों से दूर रहेंगे, तो कोई ऐसी संधि नहीं है, जो उन्हें एकतरफा संबंध रखने के लिए मजबूर करे.
सबकुछ ठीक ही है, सबकुछ ठीक होगा जैसे शब्दों के लिए अब हमारी डियर जिंदगी में कोई जगह नहीं है. बिना कुछ किए कुछ भी ठीक नहीं रहता, न कोई रिश्ता, न कोई दोस्ती. इसलिए संबंधों का पोर्टफोलियो नियमित रूप से अपडेट कीजिए और रिश्तों से खुशहाल जिंदगी का रिटर्न हासिल कीजिए.
खुश रहिए, खूब व्यस्त रहिए, लेकिन अगर आपके पास अपनों के लिए समय की कमी है, तो किसी दूसरे के पास भी समय का कोई स्टॉक नहीं होगा, जिससे वह बस आपकी चिंता में डूबा रहे, इसे अच्छी तरह याद रखिए...
(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)
(https://twitter.com/dayashankarmi)