पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भूमि अतिक्रमण के कारण नगालैंड में 120  साल पुराने दीमापुर रेलवे स्टेशन को विश्व स्तरीय स्टेशन के रूप में विकसित करने के काम में देरी हो रही है. एनएफआर के महाप्रबंधक चेतन कुमार श्रीवास्तव ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी तरह के विकास कार्य के लिये भूमि की आवश्यकता होती है, लेकिन दीमापुर में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण के कारण रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास का काम समय पर नहीं हो सका.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

श्रीवास्तव ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने पहले ही दीमापुर रेलवे स्टेशन को विश्व स्तरीय स्टेशन बनाने के लिए 280 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं, लेकिन भूमि अतिक्रमण के मुद्दों के कारण काम में देरी हो रही है.’


महाप्रबंधक ने सभी से रेलवे प्राधिकरण के साथ सहयोग करने की अपील की ताकि विकास कार्य बिना किसी बाधा के हो सके. उन्होंने कहा कि रेलवे ने नगालैंड सरकार को भूमि अतिक्रमण मुद्दे से अवगत कराया है.


श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयास सकारात्मक हैं क्योंकि उसने मामले का अध्ययन करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिये उच्च समिति का गठन किया है. उन्होंने यह भी बताया कि नगालैंड की राजधानी कोहिमा को 2026 तक रेलवे से जोड़ दिया जाएगा, क्योंकि यह पूर्वोत्तर राज्यों की सभी राजधानियों को रेलवे से जोड़ने की केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है.


पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे, डीआरएम लुमडिंग प्रेम रंजन कुमार ने कहा कि पहले दस्तावेजों के उचित सत्यापन के बाद अतिक्रमणकारियों की पहचान की जानी चाहिए, उसके बाद ही सरकार की सहायता से उन्हें वहां से हटाने की योजना बनाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से रह रहे लोगों को वहां से हटाने के लिये रेलवे के पास स्पष्ट रूपरेखा है, लेकिन उन्हें राज्य सरकार की आवश्यकता होगी.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह अगस्त को दीमापुर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला रखी थी. यह देश भर के उन 508 ​​स्टेशनों में से एक है, जिनका आधुनिकीकरण 'अमृत भारत स्टेशन योजना' के तहत किया जाएगा. इस योजना के तहत पूर्वोत्तर राज्यों के 56 रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास किया जाएगा.